श्रमिकों का पलायन रोकने के लिए दिल्ली सरकार हुई एक्टिव, हाईकोर्ट को बताया अपना प्लान

देश की राजधानी दिल्‍ली में कोरोना वायरस के बढ़ते आंकड़े हर रोज डर पैदा कर रहे हैं। इस बीच कोरोना की चेन तोड़ने के लिए अरविंद केजरीवाल सरकार ने 6 दिन का लॉकडाउन लगा दिया है। हालांकि इस लॉकडाउन की वजह से श्रमिकों में अफरा तरफी मच गई है। इस बीच केजरीवाल सरकार ने दिल्‍ली हाईकोर्ट से कहा है कि वह लॉकडाउन के दौरान प्रवासी, दैनिक और निर्माण कार्य में लगे श्रमिकों की भलाई के लिए प्रतिबद्ध है। यही नहीं, सरकार ने लॉकडाडन में उनकी रहने, खाने-पीने, कपड़े और दवा आदि की व्यवस्था करने के कदम उठाने के साथ प्रधान सचिव-गृह के नेतृत्व में एक कमेटी का गठन किया है, जो सभी प्रकार की व्यवस्थाएं देंखेंगे।

दिल्‍ली हाईकोर्ट ने केजरीवाल सरकार से लॉकडाउन के दौरान प्रवासी, दैनिक और निर्माण कार्य में लगे श्रमिकों के लिए उचित कदम उठाने पर रिपोर्ट मांगी थी। इस बीच दिल्‍ली सरकार ने प्रधान सचिव-गृह भूपिन्द्र सिंह भल्ला को कमेटी का चेयरमैन बनाया गया है, जो कि दिल्‍ली के नोडल अधिकारी रहेंगे। इसके अलावा इस कमेटी में दिल्ली पुलिस के विशेष आयुक्त राजेश खुराना भी नोडल अधिकारी होंगे, तो आयुक्त श्रम को सदस्य सचिव, प्रधान सचिव श्रम-सदस्य, शिक्षा निदेशक-सदस्य, विशेष सचिव वित-सदस्य और रिवेन्यू उपसचिव-सदस्य को इस कमेटी में शामिल किया गया है।

श्रमिकों को जहां हैं वहीं मिलेगी सुविधा

बहरहाल, दिल्‍ली में लॉकडाउन के बाद मजदूरों को खाना, पानी, दवा, आश्रय, कपड़े आदि बुनियादी सुविधाएं उनके कार्यस्‍थल पर ही मिलेंगी और दिल्‍ली सरकार का वित्त विभाग फंड की व्यवस्था करेगा। बता दें कि एक रिपोर्ट के अनुसार, वर्ष 2020 में दिल्‍ली में पंजीकृत श्रमिकों की संख्या करीब 55 हजार थी। इसके एक वर्ष बाद विशेष कैंप लगाकर रजिस्‍ट्रेशन करने के साथ मौजूदा वक्‍त में यह संख्‍या एक लाख 71 हजार 861 है।

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यही नहीं, पिछले साल श्रमिकों को दो बार में पांच-पांच हजार रुपये की सहायता प्रदान की गई थी और आज ( 20 अप्रैल-2021) से फिर से पांच हजार रुपये की आर्थिक दी लाएगी। वहीं, दिल्‍ली के स्कूलों को दिए गए मिडडे मील को भी श्रमिकों के लिए इस्‍तेमाल किया जाएगा।