मणिपुर में आरक्षण के मुद्दे पर भड़की जातीय हिंसा के बाद पूरे इलाके में स्थिति काफी गंभीर बनी हुई है। स्थिति को काबू में करने के लिए मणिपुर में कर्फ्यू लगाया गया है जिससे रविवार की सुबह कुछ घंटों के लिए ढील दी गई है। कर्फ्यू में ढील दिए जाने से आम जनजीवन पटरी पर लौटता दिखाई दिया। हिंसा प्रभावित चुराचांदपुर इलाके में सुबह सात से 10 बजे के बीच कर्फ्यू में ढील दी गई और इस दौरान खाद्य पदार्थ, दवाइयां व अन्य जरूरी सामान खरीदने के लिए लोग बड़ी संख्या में घरों से बाहर निकले।
इसी बीच उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने मणिपुर हिंसा में फंसे उत्तर प्रदेश के लोगों की मदद की अपील पर संज्ञान लिया है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने गृह विभाग से अपील की है कि मणिपुर सरकार के साथ समन्वय कर राहत पहुंचाई जाए। वहीं मुख्यमंत्री से निर्देश मिलने के बाद सचिव ने मणिपुर के मुख्य सचिव से बात कर हर संभव मदद का अनुरोध किया है। जानकारी है कि मणिपुर में उत्तर प्रदेश के लगभग 80 छात्र व युवा फंसे हुए है, जिन की सुरक्षा को लेकर खतरा भी बना है। वहीं एनआईटी इंफाल में हुई फायरिंग और बमबारी ने इनकी स्थिति अधिक गंभीर बना दी है। सभी छात्रों को सकुशल बाहर निकालने की मांग की जा रही है।
शशि थरूर ने की राष्ट्रपति शासन लागू करने की मांग
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता शशि थरूर ने रविवार को आरोप लगाया कि मणिपुर के मतदाता महज एक साल पहले भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) को सत्ता में लाकर अपने साथ ‘घोर विश्वासघात’ महसूस कर रहे हैं। उन्होंने हाल में हिंसक जातीय संघर्ष के गवाह बने इस राज्य में राष्ट्रपति शासन लागू करने की मांग भी की। मणिपुर में पिछले सप्ताह आदिवासियों और बहुसंख्यक मेइती समुदाय के लोगों के बीच हिंसक झड़प हुई थी, जिसमें कम से कम 54 लोग मारे गए हैं और हजारों लोग विस्थापित हुए हैं।
थरूर ने एक ट्वीट में कहा, ‘‘मणिपुर में हिंसा जारी है। दक्षिणपंथी विचारधारा वाले सभी भारतीयों को निश्चित रूप से खुद से पूछना चाहिए कि उस बहुप्रचारित सुशासन का क्या हुआ, जिसका हमसे वादा किया गया था।’’ पूर्व केंद्रीय मंत्री ने कहा, ‘‘यह राष्ट्रपति शासन लागू करने का समय है। राज्य सरकार उस कार्य को करने में सक्षम नहीं है, जिसके लिए वह चुनी गई थी।’’ गौरतलब है कि मणिपुर में बहुसंख्यक मेइती समुदाय द्वारा उसे अनुसूचित जनजाति (एसटी) का दर्जा दिए जाने की मांग के विरोध में ‘ऑल ट्राइबल स्टूडेंट यूनियन मणिपुर’ (एटीएसयूएम) की ओर से बुधवार को आयोजित ‘आदिवासी एकजुटता मार्च’ के दौरान चुराचांदपुर जिले के तोरबंग क्षेत्र में हिंसा भड़क गई थी। नगा और कुकी सहित अन्य आदिवासी समुदायों की ओर से इस मार्च का आयोजन मणिपुर उच्च न्यायालय द्वारा पिछले महीने राज्य सरकार को मेइती समुदाय की एसटी दर्जे की मांग पर चार सप्ताह के भीतर केंद्र को एक सिफारिश भेजने का निर्देश देने के बाद किया गया था।
पुलिस के मुताबिक, तोरबंग में मार्च के दौरान हथियार थामे लोगों की भीड़ ने कथित तौर पर मेइती समुदाय के सदस्यों पर हमला किया। मेइती समुदाय के लोगों ने भी जवाबी हमले किए, जिससे पूरे राज्य में हिंसा फैल गई। मणिपुर की कुल आबादी में मेइती समुदाय की 53 फीसदी हिस्सेदारी होने का अनुमान है। इस समुदाय के लोग मुख्यत: इंफाल घाटी में रहते हैं। वहीं, नगा और कुकी सहित अन्य आदिवासी समुदायों की आबादी 40 प्रतिशत के करीब है तथा वे मुख्यत: इंफाल घाटी के आसपास स्थित पहाड़ी जिलों में रहते हैं।