असम चुनाव ने ओढ़ी सांप्रदायिकता की चादर, दाढ़ी-टोपी पर आ टिकी अजमल की सियासत

असम में जारी विधानसभा चुनाव की वजह से सूबे में चल रहे सियासी युद्ध ने अब सांप्रदायिकता की चादर ओढ़ ली है। दरअसल, इस चुनाव में कांग्रेस की सहयोगी बदरुद्दीन अजमल की AIUDF अपने ऊट-पटांग बयानों की वजह से लगातार विवादों में घिरी है। इसी क्रम में बदरुद्दीन अजमल के बेटे अब्दुर रहीम अजमल ने एक विवादित बयान देकर राजनीतिक गलियारों की हलचल तेज कर दी है। उन्होंने दावा करते हुए कहा है कि वह दाढ़ी, टोपी और लुंगी पहनने वाले लोगों की सरकार बनाएंगे।

अजमल ने दिया विवादित बयान

अब्दुर रहीम अजमल अपनी पार्टी के उम्मीदवार फणीधर तालुकदार के समर्थन में एक चुनावी जनसभा को संबोधित कर रहे थे। असम के बभनीपुर में आयोजित इस जनसभा को संबोधित करते हुए अब्दुर रहीम अजमल ने कहा कि इस बार यह गरीब लोगों की सरकार होगी। सरकार में दाढ़ी, टोपी और लुंगी वाले पुरुष होंगे। उन्होंने इस जनसभा को बंगाली भाषा में संबोधित किया।

वहीं, एक अन्य रैली में अजमल ने कहा कि चुनाव जीतने के बाद लोगों को बुर्का, दाढ़ी और इस्लामी टोपी की इज्जत करनी होगी। AIUDF प्रत्याशी अशरफ्फुल हुसैन के लिए चेंगा विधानसभा में रैली को संबोधित करते हुए अजमल ने कहा कि हमारी माताओं और बहनों के दुपट्टे का सम्मान करना होगा, हमारी माताओं और बहनों के बुर्का का सम्मान करना होगा, हमारी दाढ़ी और टोपी का सम्मान करना होगा।

आपको बता दें कि अब्दुल रहीम अजमल अपनी जनसभाओं में बार-बार दाढ़ी, टोपी और बुर्के का जिक्र करते हैं। बताया जाता है कि असम में दाढ़ी, टोपी और बुर्का का अर्थ बांग्लादेशी घुसपैठियों से होता है। ऐसा नहीं है कि असम में मुस्लिम धर्म के लोग नहीं रहते, यहां मुस्लिम तो हैं लेकिन वे ऐसी पोशकों से नहीं पहचाने जाते। वह असमियों की तरह की रहते हैं।

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अभी हाल में एक चुनावी रैली में स्वयं ऑल इंडिया यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट (AIUDF) के प्रमुख बदरुद्दीन अजमल असम के सांस्कृतिक प्रतीक ‘गमोसा’ का अपमान करते नजर आए थे। इसके बाद AIUDF मुखिया की हर जगह आलोचना हुई। पीएम ने भी रैली में कहा कि इससे लोगों की भावनाएँ आहत हुई है और उनमें गुस्सा है।