इस बार प्रसिद्ध अमरनाथ यात्रा 1 जुलाई से शुरू होगी, जो 31 अगस्त तक चलेगी। दक्षिण कश्मीर हिमालय में 3,880 मीटर की ऊंचाई पर स्थित अमरनाथ तीर्थस्थल की इस वार्षिक तीर्थयात्रा के लिए रजिस्ट्रेशन 17 अप्रैल से शुरू होगा। पहली बार यह यात्रा 62 दिन की होगी। पिछले साल यह 43 दिन की थी। वहीं, इससे पहले 2009 में यह यात्रा 60 दिन की होगी।
जानिए अमरनाथ यात्रा से जुड़े रोचक तथ्य
14 अप्रैल को राजभवन में जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा की अध्यक्षता में श्री अमरनाथजी श्राइन बोर्ड (एसएएसबी) की 44वीं बैठक में तीर्थयात्रा का कार्यक्रम तय किया गया। कार्यक्रम की घोषणा करते हुए सिन्हा ने कहा कि प्रशासन सुचारू और परेशानी मुक्त तीर्थ यात्रा सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध है।
उपराज्यपाल ने कहा-“बिना किसी परेशानी के तीर्थ यात्रा प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह की सर्वोच्च प्राथमिकता है। प्रशासन आने वाले सभी श्रद्धालुओं और सर्वश्रेष्ठ हेल्थ सर्विस और अन्य आवश्यक सुविधाएं मुहैया करेगा।”
यह पहली बार है जब अमरनाथ यात्रा 60 दिनों की होने जा रही है। 2010 में यह 55 दिनों की थी। 2013 में भी इतने ही दिन यात्रा रही थी। 2017 में जरूर यह यात्रा 59 दिनों की थी।
हालांकि कहा जा रहा है कि अमरनाथ यात्रा शुरू करने के लिए दो तारीखों 27 जून या 1 जुलाई पर विचार किया जा सकता है। सिन्हा ने यह भी कहा कि पवित्र गुफा की तीर्थयात्रा शुरू होने से पहले टेलिफोनिक सर्विस चालू कर दी जाएंगी।
अमरनाथ गुफा की पौराणिक कहानी
कश्मीर घाटी के अनंतनाग जिले में श्री अमरनाथ गुफा हैं। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार इसी गुफा में भगवान शिव ने माता पार्वती को अमर होने की कथा सुनाई थी। इस कथा को गुफा में मौजूद दो कबूतरों ने सुन लिया था। इस गुफा में हर साल प्राकृतिक रूप से शिवलिंग बनता है। इसके दर्शनों के लिए पूरे देश से लाखों लोग पहुंचते हैं।
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अमरनाथ गुफा का हिंदुओं में महत्व
अमरनाथ यात्रा के दौरान बाबा बर्फानी के दर्शन का महत्व सिर्फ इसलिए नहीं है कि यहां हिम शिवलिंग हैं। बल्कि यहां भगवान शिव स्वयं विराजमान माने जाते हैं। बाबा अमरनाथ के दर्शन काशी से 10 गुना, प्रयागराज से 100 गुना और नैमिषारण्य से हजार गुना पुण्य देने वाला तीर्थस्थल है। ऐसी मान्यता है कि अमरनाथ गुफा में बाबा बर्फानी के दर्शन करने से 23 तीर्थों के पुण्य का लाभ मिल जाता है।