अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस के साथ-साथ आज ही के दिन मनाया जाता है विश्व संगीत दिवस…

डॉक्टर आकांक्षा गुप्ता
असिस्टेंट प्रोफेसर संगीत गायन
जुहारी देवी गर्ल्स पीजी कॉलेज कानपुर

हमारे देश के लिए बहुत गर्व की बात है कि संपूर्ण विश्व में प्रतिवर्ष 21 जून को अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस मनाया जाता है। 21 जून का दिन इसलिए भी खास है क्योंकि इस दिन अंतरराष्ट्रीय योग दिवस के साथ-साथ विश्व संगीत दिवस भी मनाया जाता है यह दोनों मिलकर ना सिर्फ मानसिक शक्ति और संबल प्रदान करते हैं बल्कि वर्तमान महामारी कोरोना से लड़ने के लिए प्रतिरोधक क्षमता और संपूर्ण स्वास्थ्य को बेहतर भी बनाते हैं। 21 जून का दिन वर्ष का सबसे लंबा दिन होता है और योग भी मनुष्य को दीर्घ जीवन प्रदान करता है। ओम एक शाश्वत ध्वनि है जिससे ब्रह्मांड का जन्म हुआ और यही ध्वनि जब सुर ताल बंद हो तो संगीत बन जाती है।

योग और संगीत संस्कृति की दो अमूल्य वस्तूएं

संगीत दिवस की शुरुआत फ्रांस से हुई। फ्रांस में म्यूजिक फेस्टिवल “फेटे डी ला म्यूजिक” नाम से जाना जाता है। योग और संगीत भारत के पास प्रकृति व संस्कृति की दो अमूल्य वस्तुए है वेदों और शास्त्रों में भी इसकी संपूर्ण व्याख्या की गई है। संगीत स्वयं ब्रह्म नाद है और योग ब्रह्म तक पहुंचने का सोपान। हमारी प्रकृति सुर ताल युक्त संगीतमय है और यही लय ताल योग में भी होती है, शरीर के साथ-साथ योग की लय ताल का सामंजस्य बैठ जाए तो अंतर्मन में संगीत बजने लगता है।

कबीर ने भी कहा है “अनहद बाजे” अनहद का अर्थ है अनाहत अर्थात जो बिना किसी आहत(चोट) के बजने लगे। संगीत को योग की नजर से देखा जाए तो जब भी हम सुर की साधना करते हैं तो हमें अपनी श्वास को नियंत्रित करना होता है स्वास बढ़ाना और कम करना ब्रीदिंग एक्सरसाइज का ही एक भाग है इससे फेफड़े स्वस्थ होते हैं। गायन के साथ वादन की बात की जाए तो वाद्य बजाने से अंगुलियों की जोड़, कोहनी और हाथों के अन्य मांस पेशियों की भी एक्सरसाइज हो जाती है। जब बांसुरी बजाई जाती है तो एक्सहेल और इन्हेल जैसी क्रियाएं होती हैं जिसे हम योग की भाषा में प्राणायाम कहते हैं।

एक बार शास्त्रीय गायक गुलाम अली खान साहब से किसी ने पूछा कि वह इतना सुरीला कैसे गाते हैं तो उन्होंने जवाब दिया कि हम गाते नहीं हवा को काबू में करने की कोशिश करते हैं। हवा को काबू में करने की यही कोशिश योग में भी की जाती है इसलिए संगीत को योग के करीब माना गया है।योग में ध्यान, प्राणायाम, अनुलोम- विलोम, ओम उच्चारण और अंगुलियों व कंठ की कई ऐसी एक्सरसाइज है जो संगीत के माध्यम से भी की जा सकती है संगीत और योग दोनों में ध्यान एकाग्र करने की आवश्यकता होती है वर्तमान समय में योग और संगीत से मन को शांति मिलने के साथ-साथ इनके रोजाना अभ्यास से कई बीमारियों में भी लाभ पाया गया है।

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(स्वस्थ जीवन का मंत्र) -अनेकों शोध के पश्चात यह सिद्ध हो चुका है कि अगर आप शरीर और मन दोनों से निरोग रहना चाहते हैं तो जो भी संगीत आपको पसंद हो पूरे दिन भर में एक ही बार सही लेकिन उसे अवश्य सुने। प्रातः काल प्राणायाम व रात में सोने से 2 घंटे पहले सुपाच्य भोजन करें तथा दिन में कम से कम एक बार दिल खोलकर जरूर हंसे,आप हमेशा रोग मुक्त रहेंगे।

” योग और संगीत का अपना ही सुंदर मिजा़ज है ,ऐसी न कोई चीज बनी जिसमें ना सुर और साज़ है”