अंतिम संस्कार के बाद अस्पताल ने किया ब्लड टेस्ट, मुकदमा दर्ज

 कोविड काल में मरीजों की इलाज में लापरवाही बरती गई, ऐसा आरोप अक्सर तीमारदार लगाते रहे, लेकिन दस्तावेजों में जो आरोप कानपुर में सही पाए गए, वे चौकाने वाले हैं। रामा मेडिकल काॅलेज में भर्ती कोविड मरीज की मौत हो गई। उसका परिजनों ने अंतिम संस्कार भी कर दिया। इसके बावजूद कागजों में मरीज का ब्लड टेस्ट होता रहा। इस पर परिजनों ने थाना में शिकायत की पर कोई सुनवाई नहीं हुई। अन्तत: परिजनों ने कोर्ट का सहारा लिया तो कोर्ट के आदेश पर अब अस्पताल के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर लिया गया। परिजनों का यह भी आरोप है कि इलाज के दौरान जमकर लापरवाही बरती गई, जिसके सभी साक्ष्य परिजनों के पास मौजूद हैं।

आनंद बाग कानपुर के रहने वाले आनंद शंकर तिवारी को कोविड टू के दौरान 20 अप्रैल 2021 को कोरोना हो गया था। इसके बाद मुख्य चिकित्सा अधिकारी के आदेश पर आनंद शंकर तिवारी के परिजनों ने उनको मंधना स्थित रामा मेडिकल कॉलेज में 23 अप्रैल को भर्ती कराया था। इलाज के दौरान 25 अप्रैल को अस्पताल ने आनंद शंकर तिवारी को मृत घोषित कर दिया। परिजनों ने 26 अप्रैल को भैरव घाट पर उनका अंतिम संस्कार कर दिया और अस्पताल से लिखित में इलाज से संबंधित दस्तावेज मांगे लेकिन अस्पताल प्रबंधन दस्तावेज देने में आनाकानी करने लगा तो नोडल अधिकारी एसीएम षष्ठम से शिकायत की गई। इस पर एसीएम ने कड़ी फटकार लगाई और अस्पताल प्रबंधन परिजनों को 30 अप्रैल को इलाज से संबंधित दस्तावेज सौंपे। इलाज के दौरान जो दस्तावेज मिले, उससे परिजनों के होश उड़ गए । जब उनकी नजर ब्लड टेस्ट पर पड़ी तो पसीना—पसीना हो गए और उसमें लिखा था कि 26 अप्रैल की शाम मरीज का ब्लड टेस्ट किया गया, जबकि 25 अप्रैल को मौत हो जाने के बाद परिजन 26 अप्रैल को दिन में ही आनंद शंकर का अंतिम संस्कार भैरव घाट पर कर चुके थे। इतनी बड़ी लापरवाही पर परिजनों ने बिठूर थाना में शिकायत की पर वहां पर कोई सुनवाई नहीं हुई। पत्नी गीता तिवारी ने सोमवार को बताया कि पुलिस का रुख देखकर कोर्ट का सहारा लेना पड़ा और कोर्ट को सभी साक्ष्य उपलब्ध कराए गए ।

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कोर्ट के आदेश पर अब बिठूर थाना में अस्पताल के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर लिया गया है और न्याय की उम्मीद जगी है। थाना प्रभारी शैलेन्द्र सिंह ने बताया कि कोर्ट के आदेश पर अस्पताल प्रबंधन के खिलाफ मुकदमा दर्ज हो गया है । जांच कर आगे की विधिक कार्रवाई की जा रही है।

इलाज में की गई जमकर लापरवाही

पत्नी गीता तिवारी ने आरोप लगाते हुए बताया कि जब उनके स्वर्गीय पति को अस्पताल में भर्ती कराया गया था तब वे बिल्कुल ठीक थे। लेकिन अस्पताल प्रबंधन ने उनका इलाज सही से नहीं किया, जिसकी सूचना पति ने वीडियो कॉलिंग के जरिए दी थी। पति का इलाज अस्पताल प्रबंधन ने उनके भर्ती होने के लगभग 13 घंटे बाद शुरू किया था। इसके बाद परिजनों को बताया गया कि आनंद बिल्कुल ठीक हैं और एक हफ्ते में छुट्टी भी हो जाएगी, लेकिन अगले ही दिन दामाद को सूचना दी गई कि आनंद की मौत हो चुकी है। इसके पहले भी कोई मेडिकल बुलेटिन जारी नहीं किया गया था। अस्पताल प्रबंधन ने आनंद को 25 अप्रैल को मृत घोषित करते हुए मृत्यु प्रमाण पत्र जारी कर दिया था, लेकिन क्या इलाज किया गया, इसकी कोई जानकारी परिजनों को नहीं दी गई थी। परिजनों ने बीमे की कार्यवाही के लिए इलाज के कागज मांगे लेकिन अस्पताल प्रबंधन ने कोई कागज नहीं दिए। जिसके बाद परिजनों ने इस पूरे प्रकरण की शिकायत तत्कालीन नोडल अधिकारी एसीएम षष्टम से की। नोडल अधिकारी से शिकायत के बाद अस्पताल के डिप्टी सीएमएस डॉक्टर एसपी सिंह ने 30 अप्रैल को सभी दस्तावेज, जांचें बीएचटी की सत्यापित प्रति प्रदान की, लेकिन फार्मेसी का बिल और भर्ती बिल की प्रति नहीं प्रदान की गई। वहीं जब परिजनों ने बीएचटी का अवलोकन किया तो उनके होश उड़ गए। बीएचटी में कहीं भी नहीं लिखा गया कि आनंद को क्या दिक्कत थी और कौन सी दवाइयां या इलाज किया गया। बीएचटी में इलाज करने वाले डॉक्टर और दवाओं का विवरण भी नहीं था। न ही मरीज की मेडिकल हिस्ट्री के संबंध में कोई उल्लेख था। अस्पताल के एक्स-रे की रिपोर्ट में हृदय का आकार बढ़ना लिखा था लेकिन बीएचटी में ड्यूटी और विजिटिंग डॉक्टर ने कोई बात नहीं लिखी थी न ही इलाज करने की बात की गई थी। इससे यह साफ हो गया कि अस्पताल प्रबंधन ने इलाज में लापरवाही बरती और आनंद को अपनी जान गंवानी पड़ी और आनन-फानन में रिपोर्ट देने के चक्कर में झूठी रिपोर्ट तैयार कर दी गई।