सपा ने एक नई रणनीति शुरू की है जिसका उद्देश्य विशेषतः भाजपा को टक्कर देना है। 2024 के लोकसभा चुनाव में इस रणनीति पर काम करके सपा पार्टी बातचीत करके एक ठोस योजना बना रही है। यह रणनीति पिछड़ों, दलितों और अल्पसंख्यकों (पीडीए) को भी जोड़ने के लिए है। सपा की रणनीति उनके अधिकारों को प्राथमिकता देने के साथ-साथ अन्य समाज के वर्गों को भी सम्मिलित करने पर आधारित है।
जानकारी के मुताबिक, पहले चरण में, समाजवादी पार्टी ने क्षत्रिय समाज को जोड़ने के लिए क्षत्रिय सम्मेलनों का आयोजन किया है। सपा, बसपा और रालोद ने साल 2019 के लोकसभा चुनाव में मिलकर एक महागठबंधन बनाया था, लेकिन वह सफल नहीं हुआ था। इस बार सपा की योजना है कि पहले से ही पीडीए पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा, लेकिन साथ ही सामान्य जातियों को भी सम्मिलित किया जाएगा।
आपको बता दे, सपा के नेता के साथ हुई अनौपचारिक बातचीत में कुछ क्षत्रिय नेताओं ने पार्टी के साथ जुड़ने की इच्छा जताई है। सपा ने इस दिशा में आगे बढ़ने का फैसला किया है और क्षत्रिय समाज को जोड़ने की जिम्मेदारी समाजवादी महिला सभा की राष्ट्रीय अध्यक्ष जूही सिंह को सौंप दी है।
जूही सिंह ने आगे बताया कि सपा द्वारा सजातीय समाज को जोड़ने की जिम्मेदारी को गंभीरता से निभाया जा रहा है। 23 जुलाई को लखनऊ के इटौंजा में एक क्षत्रिय सम्मेलन आयोजित होगा। इसी तरह के सम्मेलन अवध, पूर्वांचल और पश्चिमी यूपी के विभिन्न हिस्सों में आयोजित किए जाएंगे। सपा के सूत्रों के अनुसार, जीएसटी को ईडी के दायरे में लाने के मुद्दे पर व्यापार सभा की ओर से वैश्य समाज को एकजुट करने की जिम्मेदारी प्रदीप जायसवाल को सौंपी गई है। व्यापार सभा के जिलेवार सम्मेलन भी शीघ्र ही आयोजित होंगे। सपा ने इसी तरह के प्रयास ब्राह्मण और कायस्थ समाज को जोड़ने के लिए भी शुरू किए हैं।
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