उत्तर प्रदेश के शहरी इलाकों में वाटर टैक्स बढ़ाने की तैयारी की जा रही है। इसके लिए जल्द ही योगी कैबिनेट प्रस्ताव लाने जा रही है। सूत्रों के मुताबिक इस प्रस्ताव को अंतिम रूप दिया जा रहा है। इसके बाद इसे मुख्यमंत्री से सत्यापित कर कैबिनेट में ले जाया जाएगा।
2000 के बाद अब होने जा रहा है बदलाव
उत्तर प्रदेश के शहरी इलाकों में वॉटर टैक्स बढ़ाने की तैयारी है। हाल ही में हुई विभागीय समीक्षा में इसपर सहमति बनी है। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक प्रस्ताव को अंतिम रूप से तैयार किया जा रहा है, जिसके बाद सीएम के सामने इसका प्रेजेंटेशन होगा और फिर प्रस्ताव मंजूरी के लिए कैबिनेट ले जाया जाएगा। इससे पहले साल 2000 में जलकल और जल संस्थान से सप्लाई किए जा रहे पानी के दाम तय हुए थे। इसके बाद से दाम में कोई बदलाव नहीं हुए है, जबकि प्रोडक्शन कॉस्ट बढ़ गई है।
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अलग अलग नगर निगमों में एकरूपता लाने की तैयारी
प्रदेश के शहरों में अभी वाटर और सीवर टैक्स का कोई फिक्स्ड रेट नहीं है। इसी पर विचार करते हुए राज्य सरकार यह प्रस्ताव लाने की तैयारी कर रहा है। हर शहरी निकाय में अलग-अलग दरों में जलकर और सीवर टैक्स वसूला जाता है। लखनऊ में यह दर वॉटर टैक्स भवन के एनुअल रेंटल वैल्यू का 12.50% है जबकि 3% सीवर टैक्स लिया जाता है। वहीं, वाराणसी में वॉटर टैक्स 10.50%, जबकि सीवर टैक्स 4%, प्रयागराज नगर निगम में वॉटर टैक्स की दर 12.50%, और सीवर टैक्स की दर 4% है। इन्ही आकड़ों में शासन एकरूपता लाने का विचार कर रही है। दरअसल नगर निगम अधिनियम 1959 के मुताबिक वॉटर टैक्स, हाउस टैक्स और सीवर टैक्स मिलाकर 32 प्रतिशत से ज्यादा नहीं हो सकता है।