केजीएमयू के रेस्पिरेटरी मेडिसिन विभाग में विश्व टीबी दिवस के उपलक्ष्य मे कार्यक्रम आयोजित किया गया। प्रतिवर्ष 24 मार्च को पूरी दुनिया में विश्व टीबी दिवस मनाया जाता है, क्योंकि 24 मार्च 1882 को डॉ0 राबर्ट कोच नाम के जर्मनी के चिकित्सक ने टीबी के जीवाणु की खोज की थी। इसके लिए उन्हें 1905 में नोबल पुरस्कार से सम्मानित किया गया था।
इस अवसर पर विभागाध्यक्ष डॉ. सूर्यकान्त ने बताया कि भारत को टीबी से मुक्त करने के लिए वर्ष 2025 का लक्ष्य रखा गया है। इस वर्ष 24 मार्च 2023 को वाराणसी के रूद्राक्ष कंवेंशन सेन्टर में एक अखिल भारतीय कार्यक्रम आयोजित किया जा रहा है। जिसे भारत के प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी सम्बोधित करेगें। इस कार्यक्रम में भारत के स्वास्थ्य मंत्री, उप्र के मुख्यमंत्री एवं उप्र के राज्यपाल भी उपस्थित रहेंगी। इस कार्यक्रम में विभागाध्यक्ष डॉ. सूर्यकान्त व स्टेट टीबी ऑफिसर भी मैजूद रहेगें । इस कारण से विश्व टीबी दिवस विभाग में आज ही मनाया गया।
इस अवसर पर सभी चिकित्सकों, स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं, टीबी रोगियों एवं परिजनों को सम्बोधित करते हुए राष्ट्रीय क्षय उन्मूलन के नार्थ जोन टास्क फोर्स के चेयरमैन डा. सूर्यकान्त ने बताया कि कुपोषण, धूम्रपान तथा डायबिटीज टीबी रोग के लिए बहुत बडे़ खतरे हैॅ। उन्होनें यह भी बताया कि कुपोषण दूर करने के लिए मोटे अनाजों की महत्वपूर्ण भूमिका है। ज्ञात रहे कि वर्ष 2023 को मोटे अनाज वर्ष के रूप में मनाया जा रहा है। भारत के प्रधानमंत्री ने मोटे अनाज को ’’श्री अन्न’’ की उपमा दी है। डॉ. सूर्यकान्त ने बताया कि जहां मोटे आनाजों से पोषण मिलता है व शरीर की रोगों से लड़ने की प्रतिरोधक क्षमता भी बढ़ती है, वहीं फास्ट फूड से कुपोषण बढ़ता है एवं शरीर की रोगों से लड़ने की प्रतिरोधक क्षमता कम होती है। उन्होनें इस अवसर पर टीबी के मरीजों एवं परिजनों से कहा कि टीबी उन्हीं को होती है जिनका पोषण एवं शरीरिक प्रतिरोधक क्षमता कम होती है। इसलिए सभी को मोटे अनाज का सेवन करना चाहिए।
इस मौके पर विभाग के समस्त चिकित्सक गण डॉ. एस के वर्मा, डॉ. संतोष कुमार, डॉ. राजीव गर्ग, डॉ. दर्शन कुमार बजाज, डॉ. आनन्द श्रीवास्तव, डॉ. अंकित कुमार एवं समस्त सीनियर एवं जूनियर रेजिडेन्टस, समस्त स्टॉफ एवं स्वास्थ्य कार्यकर्ता, रोगी एवं उनके परिजन उपस्थित रहे।