एटा । उत्तर प्रदेश के एटा जनपद में जिंदा रहते हुए अपनी तेरहवीं और पिंडदान करवाने वाले शख्स की बुधवार को मौत हो गई। मौत हो जाने के बाद गांव के लोग हैरान हैं। ग्रामीणों में तरह-तरह की चर्चा चल रही है।वहीं तेरहवीं में शामिल होकर भोजन करने वाले लोग भी हैरान हैं। लेकिन जीते जी तेरहवीं करवाने के पीछे की जो कहानी सामने आई वाले भी किसी फिल्मी कहानी से काम नहीं है।
यह पूरा मामला यूपी के एटा जनपद के सकीट थाना क्षेत्र के मुंशी नगर मोहल्ले का है। बताया जा रहा है कि मुंशी नगर मोहल्ले के रहने वाले 55 वर्षीय हाकिम सिंह की शादी नहीं हुई थी।ग्रामीणों द्वारा बताया गया कि बड़े होन पर हाकिम सिंह पूजा पाठ और भजन कीर्तन करते थे जिसके चलते उन्हें लोग बाबा जी के नाम से जानने लगे। उसके बाद हाकीम बिहार से एक महिला को लाए थे और उसके साथ काफी समय तक रहे।
कुछ साल तक साथ रहने के बाद कोई संतान न होने पर वह महिला भी उन्हें छोड़कर चली गई। उसके बाद हाकिम अपने भाई भतीजे के साथ रहते थे और पूजा पाठ करती थे।गांव के लोगों द्वारा बताया गया कि हाकिम के हिस्से की पैतृक जमीन पर उनके भाई भतीजे द्वारा कब्जा किया गया था। इस बात को लेकर हाकिम काफी परेशान रहते थे और कई बार कहासुनी भी हुई थी।
कोई संतान न होने और भाई- भतीजों द्वारा जमीन पर जबरन कब्जा किए जाने के कारण हाकिम सिंह को डर था कि उनकी मौत हो जाने के बाद उनका अंतिम संस्कार कौन करेगा?
ऐसे में हाकिम सिंह ने जीते जी अपना क्रियाकर्म करवाना उचित समझा। इसके लिए उन्होंने बकायदा कार्ड छपवाया और करीब 700 सौ लोगों को तेरहवीं भोज में निमंत्रण दिया। तेहरवीं के दौरान हाकिम ने ग्रामीणों से कहा था कि ऐसा करवाने के बाद उसे मुक्ति मिल जाएगी।बताया जा रहा है कि तेरहवीं और पिंडदान संपन्न हो जाने के बाद हाकिम अपने घर कमरे में सोए थे। परिवार के लोग बुधवार को सुबह उन्हें जगाने के लिए गए तो उनकी मौत हो गई थी। हाकिम की मौत के बाद इलाके में तरह-तरह की चर्चा चल रही है।