सुप्रीम कोर्ट के हस्तक्षेप से भड़क उठी केंद्र सरकार, थमा दिया 218 पन्नों का जवाब

देश में लगातार बढ़ते कोरोना मामलों पर चिंता जाहिर करते हुए पिछले दिनों सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को नोटिस भेजा था। कोर्ट ने केंद्र से कोविड-19 की मौजूदा स्थिति पर उसका नेशनल प्लान मांगा था। केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट के इस नोटिस का जवाब देते हुए रविवार देर रात लगभग 218 पेज का हलफनामा दाखिल किया है। जिसमें महामारी से निपटने के लिए केंद्र ने सरकार द्वारा उठाए जा रहे जरुरी कदम, सप्लाई और सेवाओं को लेकर बनाए  गए अपने नेशनल प्लान के बारे में जानकारी दी है।

केंद्र सरकार ने वैक्सिनेशन नीति को लेकर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई से पहले हलफनामा दाखिल किया है। इस हलफनामे में ‘अपनी वैक्सीनेशन नीति का बचाव करते हुए कहा है कि इसमें कोर्ट के हस्तक्षेप की कोई जरूरत नहीं है।’ केंद्र सरकार ने कहा महामारी के चलते सभी को एक बार में टीका नहीं दिया जा सकता, ऐसे में वैक्सीन की सीमित उपलब्धता है, सबको समान रूप से टीका कैसे दिया जाए, इन सब चीजों पर विचार करके ही यह नीति बनाई गई थी। यह नीति न्यायसंगत है और किसी के साथ कोई भेदभाव नहीं किया गया है।

केंद्र सरकार ने अपने हलफनामे में कहा कि, “नीति भारत के संविधान के अनुच्छेद 14 और अनुच्छेद 21 के जनादेश के अनुरूप है और विशेषज्ञों, राज्य सरकार और वैक्सीन निर्माताओं के साथ विचार-विमर्श और चर्चा के कई दौर के बाद बनी है।” केंद्र ने कहा, ”हम पर विश्वास कीजिए, कोर्ट को इस मामले में हस्तक्षेप करने की जरूरत नहीं है।” केंद्र सरकार ने कहा कि उसने 50 प्रतिशत वैक्सीन की खरीद खुद करने की नीति बहुत सोच-विचार कर बनाई है। सुप्रीमकोर्ट ने पूछा था कि केंद्र वैक्सीन की 100 प्रतिशत खरीद खुद क्यों नहीं कर रहा?

केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट को अपना नेशनल प्लान बताते हुए कहा कि 18-44 साल के लोगों के लिए राज्यों का वैक्सीन खरीदना सही है, 45 से अधिक के लोगों के लिए हम आपूर्ति करते रहेंगे। केंद्र सरकार ने हलफ़नामे में कहा 18-44 साल की उम्र के लोगों के लिए राज्य और निजी क्षेत्र वैक्सीन खरीद रहे हैं, केंद्र सरकार ने वैक्सीन कंपनियों से बात कर कीमत कम करवाई है।

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दाखिल हलानामे में सरकार ने कहा कि केंद्र ने वैक्सीन कंपनियों को वैक्सीन बनाने में कोई आर्थिक मदद नहीं दी है। केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दाखिल कर कहा कि सभी राज्यों ने अपने नागरिकों को मुफ्त वैक्सीन देने की नीति तय की है। इसलिए, केंद्र की तरफ से सारा वैक्सीन खरीद कर राज्यों को न देने से नागरिकों का कोई नुकसान नहीं होगा। दाखिल हलफनामे में सीरम इंस्टीट्यूट को 1732.50 करोड़ रुपए दिए और भारत बायोटेक को 787.50 करोड़ रुपए वैक्सीन खरीद के एडवांस के तौर पर दिया गए थे। सरकार ने हलफ़नामे में कहा कि केंद्र सरकार को राज्य सरकारों से कम कीमत में वैक्सीन मिलने की वजह यही है कि उसने ज़्यादा खरीद की है।