स्टोरी-स्क्रीनप्ले सब तैयार, फिर भी बीजेपी 10 दिन बाद उत्तराखंड में क्यों नहीं बना पा रही सरकार, यहां फंसा है पेच

विधानसभा चुनाव के नतीजे आए 10 दिन हो चुके हैं. बीजेपी शानदार जीत हासिल कर चुकी है. लेकिन अब तक उत्तराखंड में मुख्यमंत्री फेस का चयन नहीं हो पाया है. हालांकि कार्यवाहक सीएम पुष्कर सिंह धामी का कहना है कि सोमवार शाम तक मुख्यमंत्री के चेहरे पर फैसला हो जाएगा. सीएम की रेस में धामी सबसे आगे चल रहे हैं.

सूत्रों के अनुसार चौबट्टाखाले के विधायक सतपाल महाराज, श्रीनगर के विधायक धन सिंह रावत, रक्षा राज्य मंत्री अजय भट्ट, पूर्व केंद्रीय शिक्षा मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक और राज्यसभा सदस्य अनिल बलूनी भी मुख्यमंत्री पद के दावेदारों में शामिल हैं.

हालांकि सीएम के चेहरे पर फैसले की कवायद रविवार को अंतिम दौर की ओर पहुंचती दिखाई दी. केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के आवास पर बीजेपी के वरिष्ठ नेताओं की एक अहम बैठक हुई. सूत्रों के मुताबिक पार्टी के शीर्ष नेताओं ने इस बैठक में प्रदेश भाजपा के नेताओं से भावी मुख्यमंत्री के नाम को लेकर रायशुमारी की.

सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक इस बैठक में बीजेपी अध्यक्ष जे पी नड्डा, संगठन महासचिव बी एल संतोष और राज्य के केंद्रीय चुनाव प्रभारी प्रह्लाद जोशी मौजूद थे. इन नेताओं ने धामी, प्रदेश अध्यक्ष मदन कौशिक, पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत, वरिष्ठ नेता सतपाल महाराज और पूर्व केंद्रीय मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक से भावी मुख्यमंत्री के नाम पर विचार विमर्श किया.

आज होगी बीजेपी विधायक दल की बैठक

देहरादून में प्रदेश बीजेपी मीडिया प्रभारी मनवीर सिंह चौहान ने बताया कि बीजेपी ने अपने ​नवनिर्वाचित विधायक दल की बैठक राज्य मुख्यालय में आज चार बजे बुलाई है. इस बैठक में नए नेता का चयन किया जाएगा. इस बैठक में पार्टी के केंद्रीय पर्यवेक्षक के तौर पर रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और सह पर्यवेक्षक के रूप में विदेश राज्यमंत्री मीनाक्षी लेखी भी मौजूद रहेंगी.

नए चेहरे को लेकर क्या हैं मुश्किलें

अगर पार्टी किसी नए चेहरे का चयन करने का फैसला लेती है तो क्षेत्रीय और जातीय संतुलन बैठाना काफी अहम होगा. चूंकि, कुमाऊं के एक ब्राह्मण नेता अजय भट्ट को पहले ही केंद्रीय राज्य मंत्री बनाया जा चुका है, ऐसे में क्षेत्रीय और जातीय संतुलन बैठाने के लिए गढ़वाल के एक ठाकुर या राजपूत नेता को मुख्यमंत्री पद के लिए चुना जा सकता है। अगर ऐसा होता है तो सतपाल महाराज या धन सिंह रावत, जो गढ़वाल के प्रमुख ठाकुर नेता हैं, मुख्यमंत्री पद के लिए पसंदीदा चेहरा बनकर उभर सकते हैं.

आइए अब आपको बताते हैं कि 10 दिन बीतने के बाद भी क्यों अब तक मुख्यमंत्री के फेस पर फैसला नहीं हो पाया.

धामी की हार से फंसा पेच

उत्तराखंड में बीजेपी ने शानदार बहुमत तो हासिल कर लिया लेकिन मुख्यमंत्री धामी को खटीमा से हार का सामना करना पड़ा. ऐसे में सरकार का नेतृत्व कौन करेगा, इसे लेकर संशय की स्थिति उत्पन्न हो गई और इसे दूर करने के लिए भाजपा में शीर्ष स्तर पर मंथन का दौर चालू हो गया जो लगातार जारी है.

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संगठन और सरकार के बीच तालमेल जरूरी

आलाकमान के सामने एक पेच यह भी है कि उसे एक ऐसे चेहरे पर फैसला करना है, जो संगठन और सरकार के बीच तालमेल बैठा सके. सबको साथ लेकर चलना पहाड़ी राज्य में बीजेपी के लिए 2024 लोकसभा चुनाव के नजरिए से भी अहम है.

ब्यूरोक्रेसी पर कंट्रोल

उत्तराखंड की बागडोर आलाकमान ऐसे नेता को सौंपना चाहता है, जो बीजेपी के डबल इंजन सरकार के नारे को कारगर साबित कर सके. केंद्र की योजनाओं को राज्य में लागू करने के लिए ब्यूरोक्रेसी पर कंट्रोल बेहद जरूरी है ताकि काम में तेजी आ सके.

कुशलता से चला सके सरकार

उत्तराखंड में बीजेपी दो मुख्यमंत्री बदल चुकी है. पहले त्रिवेंद्र सिंह रावत को सत्ता सौंपी गई. उसके बाद तीरथ सिंह रावत को. लेकिन तीरथ सिंह रावत के अजीबोगरीब बयान के कारण सूबे में बीजेपी की काफी छीछालेदर हुई. दो मुख्यमंत्री बदलने के लिए विपक्ष की आलोचना भी झेलनी पड़ी. चुनाव से कुछ वक्त पहले बीजेपी ने युवा नेता पुष्कर सिंह धामी को सत्ता सौंपी. उनकी अगुआई में बीजेपी ने शानदार जीत हासिल की. हालांकि अपनी परंपरागत सीट से धामी हार गए.