अन्तर्राष्ट्रीय संगीत दिवस तथा अन्तर्राष्ट्रीय योग दिवस पर विशेष…

संगीत एक योग, करे हमें निरोग।

अलका सिंह
असिस्टेंट प्रोफ़ेसर (संगीत)
दयानंद गर्ल्स पीजी कॉलेज, कानपुर

भारतवर्ष में प्राचीन काल से ही योग का प्रयोग किया जा रहा है। योग की नीरसता तथा रसहीनता को दूर करने हेतु विद्दानों ने संगीत का आश्रय लिया। संगीत वास्तव में स्वयं में ही योग है। संगीत नाद साधना पर आधारित है। यह नाद साधना प्राणायाम योग का ही मूर्त रूप है। स्वर साधना के दौरान साधको द्वारा श्वास क्रिया को नियंत्रित तथा व्यवस्थित  करना संगीत में योग के समागम उदाहरण है।

संगीत तथा योग दोनों का आपस में गहरा सम्बन्ध है तथा दोनो का ही उद्देश्य स्वस्थ तन-मन की प्राप्ति है। दोनो के ही माध्यम से एकाग्रचिन्तता,  ध्यान केन्द्रित करने की शक्ति, शारीरिक-मानसिक स्वास्थ्य की प्राप्ति होती है।

अवधूत दत्त पीठाधिपति जगद्गुरू श्री गणपति सच्चिदानन्द स्वामीजी ने अपने पचास वर्षो के व्यक्तिगत अनुभवो, शोधो के आधार पर बताया कि संगीत में एक दिव्य चिकित्सीय शक्ति है। इन्होनें सन् 2009 में योग संगीत नामक संस्था की स्थापना की जहाँ संगीतमय योग क्रियाओं के माध्यम से लोगों के शारीरिक तथा मानसिक स्वास्थ्य का संवर्धन किया जाता है।

स्वामीजी का 2015 में ऑस्ट्रेलिया के सिडनी ऑपेरा हाउस में 1814, लोगों को एक साथ म्यूजिक थेरेपी देने के लिए गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड में नाम भी दर्ज किया गया।

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