सिद्धू ने कांग्रेस हाईकमान के सामने रखी तीन शर्ते, सीएम चन्नी के फैसले पर उठाई उंगली

पंजाब कांग्रेस में बीते दिन उस वक्त उथल-पुथल मच गई जब पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू ने अपनी नाराजगी जताते हुए अपने पद से इस्तीफा दे दिया। इस इस्तीफे के साथ ही सूबे में नवनियुक्त मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी द्वारा किये गए मंत्रिमंडल विस्तार पर उंगली भी उठाई। इसके बाद सिद्धू का एक वीडियो सन्देश भी सामने आया जिसमें वह कहते नजर आए कि नई सरकार में दागियों को जगह दी गई है, फिर चाहे वो मंत्री हो या फिर एडवोकेट जनरल हो। इसी बीच सिद्धू की तरफ से कांग्रेस हाईकमान के सामने रखी गई शर्ते भी सामने आई है।

कांग्रेस हाईकमान ने दिखाए सख्त तेवर

दरअसल, सिद्धू की ओर से साफ़ किया गया है कि वह इस्तीफा तभी वापस लेंगे जब उनकी बातों को माना जाएगा। उन्होंने कांग्रेस हाईकमान के सामने तीन शर्ते रखी हैं, जिसमें राणा गुरजीत सिंह को कैबिनेट से हटाना, डीजीपी प्रीत सिंह सहोता को हटाने की मांग की है। इसके अलावा सिद्धू ने एडवोकेट जनरल एपीएस देओल को भी हटाने की मांग की है।

हालांकि, सूत्रों से खबर मिली है कि कांग्रेस हाईकमान इस बार सिद्धू के आगे झुकने को तैयार नहीं है। हाईकमान ने सिद्धू का विकल्प तलाशने की कवायद भी शुरू कर दी है। शायद यही वजह है कि हाईकमान ने पंजाब कांग्रेस के प्रभारी हरीश रावत का चंडीगढ़ दौरा भी रद्द कर दिया है। अपने इस दौरे पर वह सिद्धू से मुलाक़ात कर उन्हें मनाने की कोशिश करते।   

आपको बता दें कि बीते दिन सिद्धू ने कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी को पत्र लिखकर अपना इस्तीफा सौंपा था। इस पत्र में उन्होंने लिखा था कि किसी भी इंसान के चरित्र का पतन उसके किए समझौते की वजह से ही होता है। मैं कभी भी पंजाब के भविष्य और उसके हितों के साथ समझौता नहीं कर सकता। इसलिए पंजाब कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष पद से इस्तीफ़ा देता हूं। मैं कांग्रेस की सेवा करना जारी रखूंगा। इसके बाद बुधवार को उनका एक वीडियो सन्देश भी सामने आया जिसमें उन्होंने कहा कि वह अपने मुद्दों से समझौता नहीं कर सकते हैं। वे हक़ और सच की लड़ाई लड़ते रहेंगे।

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मालूम हो, सिद्धू के इस्तीफे के बाद उनके गुट के कई दिग्गज पदाधिकारियों ने अपने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है। इन पदाधिकारियों में चन्नी सरकार के दो कैबिनेट मंत्री रजिया सुल्ताना और परगट सिंह का नाम शामिल हैं। सिद्धू ने अपने इस्तीफे के बाद कहा कि वह हक़ और सच में लड़ाई में किसी भी तरह का समझौता नहीं कर सकते हैं।