तुषार मेहता के लिए मुसीबत बने शुभेंदु अधिकारी, तृणमूल सांसदों ने मोदी से की बड़ी मांग

देश के सॉलिसिटर जनरल ऑफ इंडिया तुषार मेहता अब तृणमूल कांग्रेस के सांसदों के निशाने पर आ गए हैं। दरअसल, बीते दिनों तुषार मेहता और बीजेपी विधायक शुभेंदु अधिकारी के बीच हुई मुलाक़ात को मुद्दा बनाते हुए पश्चिम बंगाल की सत्तारूढ़ तृणमूल के सांसदों ने बड़ी मांग की है। तृणमूल सांसदों ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को पत्र लिखकर मेहता को सॉलिसिटर जनरल ऑफ इंडिया के पद से हटाने की मांग की है।

तृणमूल सांसदों ने पीएम मोदी को लिखा पत्र

दरअसल, बीते दिन शुभेंदु अधिकारी अचानक तुषार मेहता के घर पहुंच गए थे। शुभेंदु और तुषार के बीच हुई इस मुलाक़ात को लेकर तृणमूल सांसदों ने मोर्चा खोल दिया। तृणमूल सांसदों ने पीएम मोदी को लिखे खत में सॉलिसिटर जनरल ऑफ इंडिया के पद से तुषार मेहता को हटाने की गुजारिश की है। उन्होंने मेहता और अधिकारी के बीच हुई इस मुलाकात को हितों का टकराव  करार दिया। पत्र में अधिकारी को विभिन्न आपराधिक मामलों में आरोपी बताया गया है।

इस मुलाक़ात को लेकर पीएम मोदी को खिले गए पत्र में तृणमूल सांसद डेरेक ओ ब्रायन, शुखेंदु शेखर रॉय और महुआ मोइत्रा के हस्ताक्षर संलग्न है। इसके साथ ही इस पत्र में दो प्रमुख मामलों को जिक्र भी किया गया। इनमें नारदा केस और सारधा चिट फंड मामले का उल्लेख है। पत्र में कहा गया कि धोखाधड़ी और घूसखोरी आदि से जुड़े इन दोनों आपराधिक मामलों में अधिकारी आरोपी हैं। पत्र के अनुसार, अधिकारी की गृह मंत्री अमित शाह के साथ मुलाकात के बाद हुई इस बैठक से संशय पैदा होता है।

तृणमूल सांसदों ने कहा कि सारधा चिटफंड घोटाले में जांच एजेंसी को सलाह देने के अलावा एसजी नारद केस में टॉप कोर्ट और हाईकोर्ट में सीबीआई की ओर से पेश हो रहे हैं। पत्र में आगे कहा गया कि अधिकारी और एसजी के बीच बैठक न केवल अनुचित है, बल्कि हितों का सीधा टकराव है। यह देश के दूसरे सर्वोच्च कानून अधिकारी सॉलिसिटर जनरल के पद को भी कलंकित करता है।

तृणमूल सांसदों ने पीएम मोदी को लिखे खत में कहा कि भारत के सॉलिसिटर जनरल के पद की “तटस्थता और सत्यनिष्ठा” बनाए रखने के लिए, मेहता को पद से हटाने के लिए आवश्यक कदम उठाए जाएं।

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उधर, मेहता ने इस बारे में समाचार एजेंसी एएनआई को बताया कि अधिकारी कल बिना बताए मेरे आवास/दफ्तर आए थे। चूंकि, मैं पहले से तय मीटिंग/कार्यक्रम में व्यस्त था, इसलिए मेरे स्टाफ ने उन्हें इंतजार करने को कहा। बैठक के बाद मेरे कर्मचारियों ने उन्हें सूचित किया कि मैं उनसे नहीं मिल पाऊंगा। वह भी मुझसे मिलने की जिद किए बिना ही वापस लौट गए। ऐसे में उनके साथ मेरी मुलाकात का सवाल ही नहीं उठता है।