श्रद्धासुमन: 9 अक्टूबर, 2015 को मुंबई में उनका निधन हो गया था । रविंद्र जैन को हिंदी सिनेमा जगत में कुछ सबसे खूबसूरत, कर्णप्रिय और भावपूर्ण गीतों के लिए उन्हें हमेशा जाना जाता रहेगा।
फिल्म सौदागर से अपने फिल्मी सफर की शुरुआत करने वाले रवीन्द्र जैन हिन्दी फ़िल्मों के जाने-माने संगीतकार और गीतकार थे। इस फिल्म में उन्होंने गीत भी लिखे थे और उनको स्वरबद्ध भी किया था।
पद्मश्री पुरस्कार से सम्मानित किया गया
1985 में फ़िल्म राम तेरी गंगा मैली के लिए फ़िल्मफ़ेयर सर्वश्रेष्ठ संगीतकार पुरस्कार भी मिला है। 2015 में उनको पद्मश्री पुरस्कार से सम्मानित किया गया था।
धारावाहिक रामायण में भी संगीत दिया
भारतीय टेलीविज़न के मील पत्थर कहे जाने वाले रामानंद सागर द्वारा निर्देशित धारावाहिक रामायण में भी उन्होंने ही संगीत दिया था जिससे कि वे भारत के घर घर में पहचाने जाने लगे।
हिम्मत नहीं हारी कभी
रवीन्द्र जैन का जन्म 28 फरवरी 1944 में अलीगढ़ में हुआ था। वे सात भाई-बहन थे। जन्म से अंध होने पर भी हिम्मत पूर्वक कारकिर्दी की शुरूआत करने के बाद हिन्दी फ़िल्मों में मशहूर संगीतकार बन गये।
पिता आयुर्वेदाचार्य थे
पिता ईन्द्रमणी जैन संस्कृत के बड़े पंडित और आयुर्वेदाचार्य थे। माता का नाम किरन जैन था। रवीन्द्र उनकी तीसरी संतान थे।
जैन भजन गाते थे पहले
बॉलीवुड का सफर शुरू करने से पहले जैन भजन गाते थे। हिन्दी फ़िल्मों में उनके गीत लोकप्रिय हुये है और उनको चाहने वाला बहुत बड़ा वर्ग है। रवीन्द्र के पुत्र का नाम आयुष्मान जैन है।
लोकप्रिय गीत
सजना है मुझे सजना के लिए
हर हसीं चीज का मैं तलबगार हूं
ले जाएंगे, दिलवाले दुल्हनिया ले जाएंगे
गीत गाता चल, ओ साथी गुनगुनाता चल
श्याम तेरी बंसी पुकारे राधा नाम
जब दीप जले आना
ले तो आए हो हमें सपनों के गांव में
अंखियों के झरोखों से, मैंने जो देखा सांवरे
ठंडे-ठंडे पानी से नहाना चाहिए
एक राधा एक मीरा कौन दिशा में लेके
सुन सायबा सुन, प्यार की धुन
मुझे हक है
अयोध्या करती है आह्वान (2015)