योगी के गढ़ में रण : 2017 की स्थिति बहाल रखने की है भाजपा को चुनौती

उत्तर प्रदेश का चुनावी रण आखिरी पड़ाव की ओर है। छठे चरण में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के गढ़ में यह ‘रण’ होने जा रहा है। 03 मार्च को होने वाले मतदान में गोरखपुर-बस्ती मण्डलों के 10 जिलों की 57 सीटों का फैसला होगा। सबकी धड़कनें तेज हैं। मतदान के एक दिन पूर्व सभी दलों के प्रत्याशियों ने ‘नगरे-नगरे-द्वारे-द्वारे’ संपर्क का सिलसिला जारी रहा।

इधर, उत्तर प्रदेश ही नहीं, देश के लगभग सभी हिस्सों के लोगों की निगाहें पहली बार विधानसभा चुनाव लड़ रहे मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ पर टिकीं हैं। कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष अजय कुमार लल्लू और भाजपा छोड़ सपा में शामिल होकर कुशीनगर के फाजिलनगर से चुनाव लड़ रहे स्वामी प्रसाद मौर्य पर भी सबकी निगाहें जमी हैं। इनके अलावा इटवा से मंत्री सतीश द्विवेदी और पूर्व विस अध्यक्ष माता प्रसाद पांडेय की लड़ाई भी रोचक स्थिति में पहुंच गई है। इधर, देवरिया जिले के पथरदेवा विधानसभा से दो पुराने प्रतिद्वंद्वी भाजपा से मंत्री सर्यप्रताप शाही और पूर्व मंत्री ब्रह्माशंकर त्रिपाठी के बीच होने वाला घमासान भी देखने लायक होगा। देवरिया से भाजपा के प्रत्याशी और सीएम के मीडिया सलाहकार शलभमणि की होगी अग्नि परीक्षा भी 03 मार्च को ही होनी है।

ऐसे में पूर्वांचल के यह इलाका चुनावी हलचल की दृष्टि से काफी महत्वपूर्ण हो गई है। वर्ष 2017 में हुए विधानसभा चुनाव में भाजपा ने इस इलाके की 57 सीटों में से 46 सीटें जीतकर न सिर्फ विरोधी दलों को हकलान किया था, बल्कि राजनैतिक भविष्यवेत्ताओं को भी चकरा दिया था।

कहते हैं विश्लेषक

राजनैतिक विश्लेषक और वरिष्ठ पत्रकार राजीवदत्त पांडेय का कहना है कि उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के लिए पांच चरणों का मतदान पूरा हो चुका है। बाकी दोनों चरण प्रदेश के पूर्वांचल में हैं। कभी पूर्वांचल का यह इलाका सपा और बसपा का प्रभाव क्षेत्र हुआ करता था। लेकिन, वर्ष 2017 के चुनाव में भाजपा ने इस क्षेत्र में सपा और बसपा को पीछे छोड़ दिया। भाजपा ने राजनीतिक विश्लेषकों की भविष्यवाणियों को न सिर्फ गलत साबित किया बल्कि अपनी जड़ें फैला लीं और अब भाजपा के सामने अपनी इन जड़ों के फैलाव को बरकरार रखना बड़ी चुनौती है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के चुनाव मैदान में होने से छठा चरण काफी महत्वपूर्ण माना जा रहा है।

योगी की खुद की सीट जीतने से ज्यादा महत्वपूर्ण अन्य सीटों की जीत है

नाई समाज की कुशीनगर इकाई से जुड़े नंदलाल शर्मा का कहना है कि योगी आदित्यनाथ पहली बार विधानसभा का चुनाव (गोरखपुर सदर सीट) लड़ रहे हैं। सांसद और विधान परिषद सदस्य के रूप में सफल पारी खेलने वाले योगी के लिए अपनी खुद की सीट जीतने से ज्यादा चुनौती इस क्षेत्र में भाजपा को बड़ी जीत दिलाने की चुनौती है। इतना ही नहीं, भाजपा से सपा में गए स्वामी प्रसाद मौर्य और कांग्रेस के इकलौते विधायक व प्रदेश अध्यक्ष अजय कुमार लल्लू भी कुशीनगर जिले से अलग-अलग विधानसभा क्षेत्रों से चुनाव मैदान में हैं। इन्हें भी अपनी सफलता को बरकरार रखना होगा। ये अपने अपने तरीके से जीत की कोशिश कर रहे हैं।

राजनीतिक समीकरण बदले हैं

हेरिटेज फाउंडेशन के ट्रस्टी अनिल कुमार तिवारी ने भी खुलकर अपना विचार रखा है। उन्होंने कहा कि छठे चरण के मतदान वाले क्षेत्र में अबकी सामाजिक और राजनीतिक समीकरण बदले हैं। पिछली बार भाजपा के साथ मिलकर चुनाव लड़ने वाले सुहेलदेव भारत समाज पार्टी के नेता ओमप्रकाश राजभर अब सपा के साथ हैं। हालांकि इसके उलट भाजपा ने निषाद पार्टी के संजय निषाद को अपने साथ जोड़ किया है। अपना दल पहले की तरह भाजपा के साथ मैदान में है। लेकिन इनकी सफलता कितनी बरकरार रहेगी, यह देखने वाली बात है। कांग्रेस के बड़े नेता और वर्तमान कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष अजय कुमार लल्लू के राजनैतिक गुरु कहे जाने वाले आरपीएन सिंह के भाजपा में शामिल होने से भी समीकरण बदले हैं। भाजपा ने अपनी स्थिति बेहतर की है।

 

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गौरतलब है कि वर्ष 2017 के चुनाव में इस क्षेत्र की 57 सीटों में से भाजपा ने 46 सीटें जीती थीं। जबकि, उसके सहयोगी अपना दल व सुहेलदेव भारत समाज पार्टी को एक-एक ही सीट मिली थी। सपा दो और बसपा पांच सीटें ही जीत पाई थीं। एक सीट पर कांग्रेस का उम्मीदवार जीता था।