केरल के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान अक्सर अपने बयानों को लेकर सुर्खियों में रहते हैं। अब उन्होंने मुस्लमानों को ही उनकी हालत के लिए जिम्मेदार ठहरा दिया है। देश की राजधानी नई दिल्ली में आयोजित एक कार्यक्रम में रविवार को उन्होंने कहा, “आधुनिक शिक्षा को इस्लाम के खिलाफ माना जाता था। वे या तो इसे बैन करना चाहते थे या मुस्लिम छात्रों को इसे पढ़ने से रोकना चाहते थे।”
आरिफ मोहम्मद खान (Arif Mohammed Khan) ने इस्लामिक कट्टरपंथियों पर हमला बोलते हुए कहा, “उन्होंने कहा कि वे उन मुसलमानों के खिलाफ कार्रवाई करेंगे जिन्होंने अपने बच्चों को आधुनिक शिक्षा हासिल करने के लिए भेजा।”
AMU की स्थापना करने वाले सर सैय्यद का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा, “सर सैय्यद ने कहा कि हम (मुस्लिम) अपने पिछड़ेपन के लिए खुद जिम्मेदार हैं, उन्होंने दोष मढ़ने की कोशिश नहीं की। उन्होंने यह भी कहा कि अगर मुसलमान शिक्षा (education) के मामले में पिछड़े रहेंगे तो वे पूरे देश के लिए मुसीबत बन जाएंगे।”
‘राजनीतिक हथियार के तौर पर इस्तेमाल किए जा रह फतवे’
कार्यक्रम के दौरान आरिफ मोहम्मद खान ने यह भी कहा कि इस्लाम में फतवों का इस्तेमाल सियासी हथियार के रूप में किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि जब वे कांग्रेस में थे तब से ही उनके खिलाफ फतवे जारी किए जा रहे हैं।
उन्होंने कहा, “हर समाज में हमेशा ही दो तरह के विचार होते हैं। लेकिन जिनके पास ताकत होती है वे अपने विचारों का प्रचार करते हैं। उन्होंने कहा कि शासकों द्वारा मौलानाओं का निर्माण इसलिए किया गया ताकि उनके निर्णयों को धार्मिक वैधता प्राप्त हो सके। आरिफ मोहम्मद खान ने दावा किया कि पैगंबर के निधन के बाद से इस्लाम पर सियासत का कब्जा हो गया।
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आरिफ मोहम्मद खान ने दावा किया कि कुरान में कम से कम 200 ऐसे उदाहरण है, जहां यह बताया गया है कि सिर्फ सृष्टि का निर्माण करने वाला ही यह तय कर सकता है कि क्या सही है और क्या गलत… इसका फैसला तब किया जाएगा जब लोग मौत के बाद अपने निर्माता से मिलेंगे। कुरान के मुताबिक, किसी इंसान को, यहां तक कि पैगंबर को भी यह अधिकार नहीं दिया गया है कि वह इसे तय करें।