अखिलेश के गोमती रिवर फ्रंट घोटाले की जांच करते हुए बंगाल पहुंची सीबीआई की टीम, उठाया बड़ा कदम

उत्तर प्रदेश में अगले वर्ष होने वाले विधानसभा चुनाव के पहले समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव के ड्रीम प्रोजेक्ट्स में से एक लखनऊ में गोमती नदी के किनारे बना रिवर फ्रंट अब भ्रष्टाचार की जंजीरों में कसता नजर आ रहा गई। दरअसल, सूबे के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के कार्यकाल में बने रिवर फ्रंट पर लगे घोटाले के आरोपों की जांच कर रही केंद्रीय जांच एजेंसी सीबीआई ने कई जिलों में छापेमारी की है। इस मामले को लेकर सीबीआई की टीम ने सिर्फ यूपी ही नहीं, बल्कि राजस्थान और पश्चिम बंगाल तक में छापेमारी की।

रिवर फ्रंट घोटाला मामले में सीबीआई ने की कई छापेमारी

मिली जानकारी के अनुसार, रिवर फ्रंट घोटाला मामले की जांच करते हुए सीबीआई ने कुल 42 स्थानों पर छापेमारी की। इस 42 स्थानों में से 40 यूपी के अलग अलग जिलों में छापेमारी की। इसके अलावा सबूतों की तलाश में सीबीआई की टीम ने राजस्थान के एक और पश्चिम बंगाल के एक स्थान पर भी दबिश दी।

सीबीआई की टीम ने राजधानी लखनऊ के अलावा नोएडा, गाज़ियाबाद, बुलंदशहर, रायबरेली, सीतापुर, इटावा, आगरा में सीबीआई ने छापेमारी की है। इस छापेमारी के दौरान सीबीआई की टीम बुलंदशहर में कॉन्ट्रैक्टर राकेश भाटी के आवास पर पहुंची है। राकेश भाटी प्रदेश कांग्रेस कमेटी के सदस्य हैं। उनके घर के अंदर सीबीआई की टीम खोजबीन और जांच में जुटी हुई है कई घंटे जुटी रही।

इतना ही नहीं, इस मामले से जुड़े एक अन्य मामले को लेकर सीबीआई ने नई एफआईआर भी दर्ज की है। इस केस में कुल 189 आरोपी हैं। यह एफआईआर अखिलेश यादव के कार्यकाल के दौरान गोमती नदी परियोजना में कथित अनियमितताओं को लेकर दर्ज की गई है।

आपको बता दें कि अखिलेश यादव के ड्रीम प्रोजेक्ट्स में से एक रिवर फ्रंट बनने के बाद से ही घोटाले के आरोपों में घिर गया था। सूबे में बीजेपी नीत योगी सरकार बनने के बाद इन कथित घोटालों की जांच शुरू हुई। शुरुआत की जांच के बाद से यह मामला सीबीआई के पास है। इस मामले में सीबीआई ने अभी दो दो एफआईआर दर्ज की है, जिसमें सैंकड़ों लोगों को आरोपी बनाया गया है। सीबीआई इस घोटाले के बड़े जिम्मेदारों पर अपना शिकंजा कस रही है।

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करीब 1500 करोड़ रुपये के इस घोटाले की जांच फिलहाल सीबीआई कर रही है। प्रवर्तन निदेशालय ने भी मनी लांड्रिंग का मामला दर्ज कर जांच शुरू की थी। सीबीआई लखनऊ की एंटी करप्शन टीम इस मामले की जांच कर रही थी। राज्य सरकार ने तीन साल पहले घोटाले की जांच सीबीआई से कराने की संस्तुति की थी।