भागवत ने मुसलमानों को लेकर दिया बड़ा बयान, तो भड़क उठे ओवैसी, हिंदुत्व पर उठाई उंगली

एक पुस्तक के विमोचन कार्यक्रम के दौरान राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) द्वारा हिंदू-मुस्लिम एकता को लेकर दिए गए बयान की वजह से सियासी गलियारों की हलचल काफी तेज हो गई है। दरअसल, अगले वर्ष होने वाले उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव से पहले आरएसएस प्रमुख द्वारा मुस्लिमों को लेकर दिए गए बयान पर एआईएमआईएम मुखिया असदुद्दीन ओवैसी ने तगड़ा पलटवार किया है। मोहन भागवान ने हिन्दू- मुस्लिम एकता की बातों को भ्रामक बताते हुए कहा कि यह दोनों अलग नहीं है। इसके अलावा उन्होंने मॉब लिंचिंग, भारत में इस्लाम पर कई बातें कहीं। इस दौरान उन्होंने कहा कि सभी भारतीयों का डीएनए एक है और मुसलमानों को डर के इस चक्र में नहीं फंसना चाहिए कि भारत में इस्लाम खतरे में है।

ओवैसी ने भागवत के बयान पर दी तीखी प्रतिक्रिया

मोहन भागवत का यह बयान असदुद्दीन ओवैसी को बिल्कुल भी रास नहीं आया है। उन्होंने भागवत के बयान पर जमकर पलटवार किया है। उन्होंने यह पलटवार सोशल नेटवर्किंग वेबसाइट ट्विटर के माध्यम से लगातार ट्वीट कर किया। अपने इन ट्वीट में ओवैसी ने कहा कि आरएसएस के भागवत ने कहा लिंचिंग करने वाले हिंदुत्व विरोधी। इन अपराधियों को गाय और भैंस में फ़र्क़ नहीं पता होगा, लेकिन क़त्ल करने के लिए जुनैद, अखलाक़, पहलू, रकबर, अलीमुद्दीन के नाम ही काफी थे। ये नफ़रत हिंदुत्व की देन है, इन मुजरिमों को हिंदुत्ववादी सरकार की पुश्त पनाही हासिल है।

अपने अगले ट्वीट में ओवैसी ने कहा कि केंद्रीय मंत्री के हाथों अलीमुद्दीन के कातिलों की गुलपोशी हो जाती है, अखलाक़ के हत्यारे की लाश पर तिरंगा लगाया जाता है, आसिफ़ को मारने वालों के समर्थन में महापंचायत बुलाई जाती है, जहां बीजेपी का प्रवक्ता पूछता है कि क्या हम मर्डर भी नहीं कर सकते?

उन्होंने एक अन्य ट्वीट में कहा कि केंद्रीय कायरता, हिंसा और क़त्ल करना गोडसे की हिंदुत्व वाली सोंच का अटूट हिस्सा है। मुसलमानो की लिंचिंग भी इसी सोच का नतीजा है।

भागवत ने कार्यक्रम के दौरान दिया था यह बयान

आपको बता दें कि एक कार्यक्रम के दौरान संघ प्रमुख मोहन भागवत ने कहा कि हिंदू-मुस्लिम एकता की बातें भ्रामक हैं क्योंकि यह दोनों अलग नहीं बल्कि एक है। उन्होंने कहा कि सभी भारतीयों का डीएनए एक है, चाहें वो किसी भी धर्म के क्यों न हो। लोगों के बीच पूजा पद्धति के आधार पर अंतर नहीं किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि यह सिद्ध हो चुका है कि हम 40 हजार साल से एक ही पूर्वज के वंशज हैं। भारत में लोगों का डीएनए एक जैसा है।

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मोहन भागवत ने कहा कि भय के इस चक्र में न फंसे कि भारत में इस्लाम खतरे में है। उन्होंने कहा कि विकास देश में एकता के बिना संभव नहीं है। उन्होंने इस बात पर जोर देते हुए कहा कि एकता का आधार राष्ट्रवाद और पूर्वजों का गौरव होना चाहिए। उन्होंने कहा कि हिंदू-मुस्लिम संघर्ष का एकमात्र समाधान ‘संवाद’ है, न कि ‘विसंवाद’। उन्‍होंने कहा कि भारत में इस्‍लाम को किसी तरह का खतरा नहीं है। मुसलमानों को इस तरह के किसी डर में नहीं रहना चाहिए।

उन्होंने कहा कि यदि कोई हिंदू कहता है कि किसी मुसलमान को यहां नहीं रहना चाहिए तो वह व्यक्ति हिंदू नहीं हो सकता। ऐसा कहने से वो चर्चा में आ सकता है लेकिन इसके बाद वो हिंदू नहीं है।