मुर्मू के समर्थन में प्रमोद कृष्णनन भी आए, कांग्रेस नेता ने दी हाईकमान को नसीहत

राष्ट्रपति पद की एनडीए उम्मीदवार द्रौपदी मुर्मू के समर्थन में कांग्रेस के वरिष्ठ नेता प्रमोद कृष्णनन भी आ गए हैं। उन्होंने अपनी ही पार्टी को नसीहत देते हुए कहा कि एक आदिवासी महिला का विरोध कांग्रेस के लिए ठीक नहीं है। उन्होंने कांग्रेस से अपने फैसले पर पुर्नविचार को कहा है।

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता आचार्य प्रमोद कृष्णम ने राष्ट्रपति चुनाव में एनडीए से राष्ट्रपति पद की उम्मीदवार द्रौपदी मुर्मू का समर्थन करते हुए कहा कि ऐसी महिला का विरोध कतई उचित नहीं है। उन्होंने कांग्रेस हाईकमान को नसीहत देते हुए कहा कि पार्टी को अपने फैसले पर फिर से विचार कर ये देखना चाहिए कि क्या एक आदिवासी महिला का विरोध उचित है। वरिष्ठ नेता आचार्य प्रमोद कृष्णम के इस प्रकार से किए गए ट्वीट से सियासत में हलचल बढ़ गई।

दरअसल, बुधवार कीरात को कांग्रेस के वरिष्ठ नेता प्रमोद कृष्णम ने ट्वीट कर लिखा कि -पंडित मोतीलाल नेहरु से लेकर आज तक कांग्रेस हमेशा शोषित, वंचित और आदिवासियों के साथ खड़ी रही है, राष्ट्रपति चुनाव में एक आदिवासी महिला उम्मीदवार द्रोपदी मुर्मू का विरोध करना मेरे विचार से बिलकुल उचित नहीं है, पार्टी हाई कमान को इस पर पुनर्विचार करना चाहिए।

प्रमोद कृष्णनन के ट्वीट के मायने इसलिए भी अधिक हो गए क्योंकि 10 जनपथ पर कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं की बैठक आज ही बुलाई है। बैठक में 18 जुलाई को होने वाले राष्ट्रपति चुनाव के चुनाव के अलावा अलावा कई अन्य मुद्दों पर चर्चा की जाएगी। कांग्रेस की मीटिंग से पहले प्रमोद

कृष्णम का यह ट्वीट चर्चा का विषय बन गया है। हालांकि प्रमोद कृष्णनन के ट्वीट का पार्टी पर कोई असर होगा ऐसा नजर नहीं आ रहा। कांग्रेस यशवंत सिन्हा का समर्थन पहले ही कर चुकी है। राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार यशवंत सिन्हा का बुधवार को भोपाल कमलनाथ के निवास पर स्वागत भी किया गया था। इस पर भी आचार्य प्रमोद कृष्णनन ने ट्वीट करते हुए लिखा कि ये नौबत आ गई अब, किसी कांग्रेसी को ही लड़ा देते।

ये पहली बार नहीं हो रहा है आचार्य का बयान कांग्रेस की विचारधारा के विपरीत आया है। इससे पहले भी आचार्य प्रमोद कृष्णम ने कई ऐसे बयान दिए जो कांग्रेस से बिल्कुल अलग दिखते हैं। 12 जुलाई को भी उन्होंने राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार यशवंत सिन्हा पर कटाक्ष किया था। दरअसल, यशवंत सिन्हा ने कहा था कि राष्ट्रपति चुने जाने पर मैं संविधान के संरक्षक के रूप में कार्य करूंगा और सरकार को ऐसा कुछ भी करने से रोकूंगा, जिससे प्रजातंत्र का हनन हो-जैसे राज्य में चुनी हुई सरकार को गिराना। यशवंत सिन्हा के इस बयान पर आचार्य प्रमोद कृष्णम ने ट्वीट करते हुए लिखा था कि ना नौ मन तेल होगा-ना राधा नाचेगी।