मुस्लिम बहुल दानीलिमिडा में ओवैसी का नया दांव! जानिए क्या है AIMIM का गुजरात को लेकर प्लान

गुजरात विधानसभा चुनाव में पहली बार एआईएमआईएम (AIMIM) भी चुनाव लड़ रही है। असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी AIMIM का पूरा फोकस दलित और मुस्लिम वोटों पर है। 2021 में हुए स्थानीय निकाय के चुनाव में 26 सीटों पर एआईएमआईएम को जीत हासिल हुई थी। वहीं मई 2022 के बाद से ही लगातार असदुद्दीन ओवैसी गुजरात का दौरा कर रहे हैं। ओवैसी की पार्टी गुजरात में 40 से 45 विधानसभा सीटों पर चुनाव लड़ने की योजना बना रही है।

हालांकि अभी तक पार्टी ने 5 उम्मीदवार ही उतारे हैं। अहमदाबाद की 3 सीटों और सूरत की 2 सीटों पर पार्टी ने प्रत्याशी उतार दिए हैं। पांच उम्मीदवारों में चार पहली बार चुनाव लड़ रहे हैं। कांग्रेस के लिए पहले ही आम आदमी पार्टी ने मुश्किलें खड़ी की थीं वहीं अब एआईएमआईएम से भी उसे मुस्लिम वोटों के नुकसान का खतरा बढ़ गया है। एआईएमआईएम कांग्रेस के गढ़ में अपना पूरा फोकस कर रही है।

क्या है ओवैसी का दानिलीमिडा सीट पर दांव?

दरअसल दानीलिमिडा सीट मुस्लिम बाहुल्य सीट है और इस सीट पर कुल करीब 2 लाख 62 हजार वोटर हैं, जिसमें 1,72,000 से अधिक वोटर मुस्लिम समुदाय से आते हैं। यह सीट दलितों के लिए आरक्षित सीट है और इस सीट पर पार्टी ने दलित महिला कौशिका परमार को उम्मीदवार बनाया है। एआईएमआईएम उम्मीदवार आने से मुस्लिम वोटों में बंटवारा हो सकता है, जिसका सीधा नुकसान कांग्रेस और आम आदमी पार्टी को हो सकता है।

एआईएमआईएम गुजरात के प्रमुख साबिर काबलीवाला ने इसे खारिज करते हुए कहा कि अगर कोई पार्टी राज्य में विपक्ष के वोट को विभाजित कर रही है, तो वह आम आदमी पार्टी है। AAP को छोटा चार्जर कहते हुए काबुलीवाला कहते हैं, “आप का राज्य में कोई पार्टी स्तर का संगठन नहीं है और न ही यह किसी ऐसे उम्मीदवार को खड़ा कर रही है जो चुनाव जीत सकता है। उन्हें सूरत नगर निगम (पिछले साल) में कुछ सीटें सिर्फ इसलिए मिलीं क्योंकि जनता में भाजपा के प्रति असंतोष था।” बता दें कि कई ओपिनियन पोल में भी कांग्रेस और आम आदमी पार्टी के बीच वोट बंटने का अंदेशा जताया गया है।

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जमालपुर-खड़िया के मौजूदा विधायक इमरान खेड़ावाला ने इस महीने की शुरुआत में द इंडियन एक्सप्रेस को दिए एक साक्षात्कार में एआईएमआईएम के इरादों पर सवाल उठाया था। उन्होंने कहा था, “मेरी सीट का मुस्लिम-हिंदू अनुपात 60:40 है लेकिन अगर मुझे हिंदू समुदाय के वोट नहीं मिले तो मैं जीत नहीं सकता। काबलीवाला नहीं जीतेंगे, लेकिन सीधे तौर पर बीजेपी को फायदा पहुंचाएंगे। मेरे पास काफी लीड है, इसलिए यह मुझे ज्यादा प्रभावित नहीं करेगा। लेकिन निश्चित रूप से यह मुझे कहीं न कहीं नुकसान पहुंचाएगा।”