मिशन “चंद्रयान-3” अब जल्द ही चंद्रमा पर लैंडिंग करने के लिए पूरी तरह से तैयार है। मिशन “चंद्रयान-3” की सफलता के लिए विक्रम लैंडर की डीबूस्टिंग प्रक्रिया के साथ-साथ, आने वाले दिनों में विक्रम लैंडर और प्रज्ञान रोवर के लिए महत्वपूर्ण समय है। इस सफलता की ओर “चंद्रयान-3” दिन पर दिन एक एक कदम आगे बढ़ रहा है, और अब चांद पर तिरंगा लहराने का सपना भी हकीकत होने वाला है। चंद्रयान-3 ने हर कठिनाई को पार करते हुए चंद्रमा तक पहुंचने का सफर तय किया है, और अब भी इसका आगे का सफर जारी है।
चंद्रयान-3 की यात्रा में यह है महत्वपूर्ण पहलू
आपको बता दे, चंद्रयान-3 की यात्रा में एक और महत्वपूर्ण पहलू है – विक्रम लैंडर का चंद्रमा की दक्षिणी ध्रुव पर सॉफ्ट लैंडिंग करना। 18 अगस्त यानी की शुक्रवार को विक्रम लैंडर की डीबूस्टिंग प्रक्रिया सफल रही, जिससे उसकी रफ्तार को अब कम कर दिया गया है। इसके अलावा, अब भी विक्रम लैंडर को कई चुनौतियों का सामना करना पड़ेगा।
जल्द विक्रम लैंडर चंद्रमा पर करेगा सॉफ्ट लैंडिंग
चंद्रयान-3 की आगामी क्रियाकलाप में, 20 अगस्त यानी की रविवार को लैंडर की दोबारा डीबूस्टिंग की जाएगी। इसके बाद, विक्रम लैंडर की चंद्रमा से न्यूनतम दूरी मात्र 30 किलोमीटर रह जाएगी। 23 अगस्त को विक्रम लैंडर चंद्रमा की सतह पर सॉफ्ट लैंडिंग करेगा। इससे पहले, लैंडर की रफ्तार को 2 किलोमीटर प्रति सेकंड पर घटाकर शून्य कर दिया जाएगा, जो की यह चंद्रयान-3 की यात्रा में एक महत्वपूर्ण प्रक्रिया है।
इस यात्रा में सूर्यदेव निभाएंगे अहम भूमिका
जानकारी के मुताबिक, विक्रम लैंडर की यात्रा में सूर्यदेव भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे। 20 अगस्त के बाद, लैंडर उस चरण में पहुंचेगा जहां वो अपने आगामी क्रियाकलाप को नियंत्रित करेगा। 23 अगस्त को सूर्योदय के साथ ही विक्रम लैंडर सूरज की रोशनी और ऊर्जा का उपयोग करके अपने मिशन को आगे बढ़ाएगा। इस मिशन में प्रज्ञान रोवर अगले 14 दिनों तक अपनी कार्यक्षमताओं के अनुसार काम करेगा और सोलर पैनल से ऊर्जा उत्पन्न करेगा। विक्रम लैंडर द्वारा भेजी गई तस्वीरें बताती हैं कि विक्रम लैंडर चांद के बेहद करीब है।
चंद्रयान-3 के मिशन की तैयारियों में अपनाया ये तरीका
बता दे, इसरो ने इस बार चंद्रयान-3 के मिशन की तैयारियों में सतर्कता बनाए रखने के लिए कई प्रतिक्रियाएँ अपनाई हैं, ताकि पिछले मिशन में हुई गलतियों की पुनरावलोकन किया जा सके। विक्रम लैंडर के लेग्स को मजबूत बनाया गया है, जिससे उसे भविष्य में किसी भी मामूली समस्या का सामना करना पड़े तो वो सही से संघटित हो सके। लैंडर के बाहर की ओर एक विशेष कैमरा लगाया गया है, जिसे एलडीएफ (LDF) कहते हैं, जो चंद्रमा की सतह को लगातार प्रकाशित रखेगा। चंद्रयान-3 की यात्रा को देखकर प्रतिष्ठित वैज्ञानिकों का मानना है कि अब वह दिन दूर नहीं जब चांद पर हमारा तिरंगा गर्व से लहराएगा।
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