आतंकवादी के मारे जाने पर महबूबा मुफ्ती ने उठाए सवाल, बोलीं- यह ‘पकड़ो और मारो’ पॉल‍िसी का हिस्सा

पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) की अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती ने बुधवार को जम्मू-कश्मीर के शोपियां जिले में आतंकवाद-रोधी अभियान के दौरान लश्कर-ए-तैयबा के एक गिरफ्तार ‘‘हाइब्रिड’’ आतंकी के मारे जाने के प्रकरण की जांच की मांग की है। दरअसल, ‘‘हाइब्रिड’’ आतंकी सुरक्षा बलों और आंतकवादियों की मुठभेड़ के दौरान एक अन्य आतंकवादी द्वारा गोली लगने के कारण मारा गया। पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि कश्मीरी पंडितों और मजदूरों की हत्या निंदनीय है, लेकिन पुलिस हिरासत में आतंकवादियों द्वारा एक आरोपी की मौत ने इस आरोप को हवा दी है कि यह ‘‘पकड़ो और मारो’’ नीति का एक हिस्सा था।

‘‘हाइब्रिड’’ आतंकवादी उन लोगों को कहा जाता है जिनका कोई आपराधिक इतिहास नहीं होता और वे किसी आतंकवादी घटना को अंजाम देने के बाद सामान्य जीवन जीने लगते हैं। महबूबा ने कहा, ‘‘ऐसा पहले पंजाब में इस्तेमाल किया गया है… ऐसा लग रहा है कि गुजरात और हिमाचल में चुनाव नजदीक आने के साथ ही घाटी में शांति भंग करने की कोशिशें की जा रही हैं, ताकि भाजपा को हिंदू-मुस्लिम ध्रुवीकरण का ज्यादा से ज्यादा फायदा मिल सके।’’ इमरान बशीर गनी को मंगलवार तड़के शोपियां जिले के हरमेन में उत्तर प्रदेश के मजदूरों की हत्या में कथित संलिप्तता के आरोप में गिरफ्तार किया गया था। पुलिस के अनुसार, जिले के नौगाम इलाके में पुलिस द्वारा आतंकवाद-रोधी अभियान शुरू करने के दौरान बुधवार तड़के आतंकवादियों की गोलीबारी में गनी भी मारा गया।

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कश्मीर जोन पुलिस ने बुधवार को ट्वीट किया, ‘‘गिरफ्तार हाइब्रिड आतंकवादी के खुलासे के आधार पर और पुलिस व सुरक्षा बलों की सिलसिलेवार छापेमारी के दौरान शोपियां के नौगाम में आतंकवादियों और सुरक्षा बलों का एक बार फिर आमना-सामना हुआ, जिसमें हाइब्रिड आतंकवादी इमरान बशीर गनी एक अन्य आतंकवादी की तरफ से की गई गोलीबारी में मारा गया।’’ ट्विटर पर महबूबा मुफ्ती ने पुलिस के इस दावे पर सवाल उठाया कि पुलिस हिरासत के दौरान दूसरे आतंकवादी बशीर गनी को मारने में कामयाब रहे। उन्होंने कहा, ‘‘तर्कों से इतर गनी भी इस मामले में पूरी तरह से निष्पक्ष जांच का हकदार है।’’ महबूबा ने यहां अपने पार्टी कार्यालय में एक बैठक के बाद संवाददाताओं से कहा, ‘‘अगर आतंकवादी किसी को पुलिस की हिरासत में इतनी आसानी से मार सकते हैं, तो सोचिए कि इससे आम लोगों का क्या हश्र हो सकता है।