पीएम की बैठक के बाद महबूबा ने फिर की पाकिस्तान की वकालत, सरदार वल्लभ भाई पटेल का किया जिक्र

जम्मू-कश्मीर से पर होने वाली अहम बैठक से पहले भी राज्य की पूर्व सीएम महबूबा मुफ्ती ने पाकिस्तान का राग अलापा था और पीएम नरेंद्र मोदी के साथ राज्य के नेताओं की बैठक के बाद एकबार फिर उन्होंने कहा कि भारत को पाकिस्तान से बात करनी चाहिए। उन्होंने कहा कि अगर कश्मीर के लोगों को बातचीत से सुकून मिलता है तो नई दिल्ली को पाकिस्तान से बात करनी चाहिए। बता दें गुपकार गठबंधन के सहयोगी फारूक अब्दुल्ला ने महबूबा के पाकिस्तान वाले बयान पर पल्ला झाड़ते हुए कहा था कि उन्हें पाकिस्तान की बात नहीं करनी है और वह अपने वतन को लेकर अपने देश के पीएम से बात करने आए हैं।

महबूबा मुफ्ती ने पाकिस्तान से बातचीत की वकालत करते हुए कहा- ‘सरकार चीन के साथ बात कर रही है, जहां लोगों का कोई इन्वॉल्वमेंट नहीं है। पाकिस्तान के साथ सीजफायर हुआ। घुसपैठ कम हुई। तो अगर कश्मीर के लोगों को सुकून मिलता है तो आपको फिर पाकिस्तान से बात करनी चाहिए। कश्मीर में जो सख्ती है वो भी बंद होनी चाहिए।’

आज बैठक के बाद उन्होंने कहा-कश्मीर के लोग मुसीबतें सह रहे हैं। 5 अगस्त 2019 के बाद गुस्से में हैं, नाराजगी में हैं। कश्मीर में जिस तरीके से 370 को हटाया गया वो जम्मू-कश्मीर के लोगों को मंजूर नहीं है। बीजेपी ने गैरकानूनी तरीके से उसे हटाया। हम जम्मू-कश्मीर में 370 बहाल करेंगे, ये हमारी पहचान की बात है, पूर्व पीएम जवाहर लाल नेहरू और सरदार वल्लभ भाई पटेल ने ये कानून हमें खुद दिया था।’

‘जैसे स्टेट डिसॉल्व किया गया था वो सही नहीं था’

बैठक के दौरान जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेसी नेता गुलाम नबी आजाद ने कहा कि जैसे स्टेट डिसॉल्व किया गया था वो सही नहीं था, ऐसा नहीं होना चाहिए था। उन्होंने 5 मांग की। पहला, राज्य का दर्जा जल्दी दें। दूसरा, विधानसभा का चुनाव तुरंत हो ,लोकतंत्र बहाल हो। तीसरा, डोमिसाइल के नियम, खासतौर पर जमीन और नौकरी के मामले में गारंटी दे सरकार। तीसरा, कश्मीरी पंडित 30 साल से बाहर हैं, उनको वापस लाया जाए। चौथा, राजनीतिक बंदियों को रिहा किया जाए। आजाद ने कहा- गृहमंत्री ने पीएम से पहले कहा- स्टेटहुड देने के लिए वचनबद्ध हैं और इलेक्शन के लिए भी वचनबद्ध हैं, सिर्फ परिसीमन का इंतजार है।स्टेटहुड मिल जाएगा और इलेक्शन हो जाएंगे तब हम संतुष्ट होंगे।

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उमर अब्दुल्ला ने भी जताई नाराजगी

पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने कहा है-हम 5 अगस्त 2019 को हुई घटना का समर्थन नहीं करते। लेकिन हम उसके लिए कानून हाथ में नहीं ले सकते। हम इसकी इसकी लड़ाई कोर्ट में लड़ेंगे। हमने प्रधानमंत्री से यह भी कहा कि राज्य और केंद्र में भरोसा टूटा है। ये केंद्र की जिम्मेदारी है कि इस भरोसे को दोबारा कायम किया जाए।