महंत नरेन्द्र गिरी हत्याकांड: अब एक नए एंगल से जांच करेगी सीबीआई, सुसाइड नोट पर लगे प्रश्नचिन

अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत नरेन्द्र गिरी की मौत मामले में जांच कर रही सीबीआई अब तक किसी ठोस नतीजे पर नहीं पहुंच पाई है। आरोपियों के पॉलीग्राफ टेस्ट यानी लाई डिटेक्टर टेस्ट से इंकार के बाद सीबीआई की परेशानी बढ़ गई है। सीबीआई अब इस मामले में महंत नरेंद्र गिरी के प्रॉपर्टी से जुड़े विवाद के एंगल को लेकर जांच पड़ताल में जुट गई है।

प्रापर्टी को लेकर सीबीआई ने पूछे कई अहम सवाल

सीबीआई महंत नरेंद्र गिरी के वकील ऋषि शंकर द्विवेदी से पूछताछ कर रही है। जो नरेंद्र गिरी के संदिग्ध मौत वाले दिन ही श्री मठ बाघम्बरी जाते हुए एक दुर्घटना में घायल हो गए थे। जिसके बाद वह अपने घर में ही बेड पर हैं। सीबीआई की एक टीम उनके आवास जाकर उनसे पिछले तीन दिनों से पूछताछ कर रही है। सीबीआई ने उनसे पूछा है कि आखिर महंत नरेंद्र गिरी ने अपनी वसीयत क्यों तोड़ी और 4 जून 2020 को कराई गई तीसरी वसीयत में बलवीर गिरी को उत्तराधिकारी बनाते हुए उन्होंने क्या कुछ कहा था ?

इसके साथ ही साथ मठ की प्रॉपर्टी को लेकर भी सीबीआई ने उनसे कई अहम सवाल पूछे हैं। सुसाइड नोट को लेकर भी उनके वकील से सीबीआई ने पूछा है कि तमाम कागजातों पर महंत नरेंद्र गिरी के दस्तखत आप लेते रहे होंगे ऐसे में क्या सुसाइड नोट में उनकी ही हैंडराइटिंग है ? इस पर उनके वकील ने सीबीआई को बताया है कि महंत नरेंद्र गिरी हस्ताक्षर तीन से चार मिनट में कर पाते थे। ऐसे में जिस तरह से 8 पेज का सुसाइड नोट लिखा गया है। यह उनके द्वारा लिखा जाना सम्भव प्रतीत नहीं हो रहा है।

सीबीआई ने महंत नरेन्द्र गिरी के कुछ दस्तावेजों को अपने कब्जे में लिया है। जिसमें महंत नरेंद्र गिरि ने एक या दो लाइनें या तो लिखी हैं या फिर हस्ताक्षर किया है। सीबीआई इन दस्तावेजों का फिंगरप्रिंट एक्सपर्ट से मिलान करायेगी। अब तक सीबीआई इस मामले में तीनों आरोपियों आनंद गिरी, आद्या प्रसाद तिवारी और संदीप तिवारी से पूछताछ कर चुकी है। जिससे सीबीआई किसी ठोस नतीजे पर नहीं पहुंच सकी। ऐसे में सीबीआई अब दूसरे एंगल पर भी जांच कर रही है।

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फिलहाल सीबीआई की पांच सदस्यीय टीम अभी भी प्रयागराज में कैंप किए हुए हैं। जो लगातार मामले की जांच पड़ताल कर रही है। हालांकि सीबीआई को 18 अक्टूबर को उस समय बड़ा झटका लगा है, जबकि सीजेएम कोर्ट ने आरोपियों की पॉलीग्राफ टेस्ट कराने की सीबीआई की अर्जी खारिज कर दी थी। दरअसल पॉलीग्राफ टेस्ट के लिए आरोपियों की सहमति जरूरी होती है। लेकिन आरोपियों ने पॉलीग्राफ टेस्ट कराने के लिए सहमति नहीं दी थी। सीबीआई अब इस बात की तैयारी कर रही है कि वह अपनी विवेचना में आरोपियों के पॉलीग्राफ टेस्ट से इंकार करने के मुद्दे को मजबूती से शामिल करेगी और इस पर सवाल भी उठाएगी कि आखिर आरोपियों ने पॉलीग्राफ टेस्ट से इंकार क्यों किया।