जाने विवाह पंचमी का महत्व, इससे जुडी पौराणिक कथाएं, तिथि व धार्मिक मान्यताएं

इस वर्ष विवाह पंचमी 19 दिसंबर को मनाई जाएगी। हर वर्ष अगहन मास (मार्गशीष मास) में शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को विवाह पंचमी मनाई जाती है। पौराणिक मान्यता है कि भगवान राम और सीता का विवाह इसी दिन हुआ था और इसी आस्था के कारण विवाह पंचमी पर्व मनाया जाता है। सनातन धर्म में विवाह पंचमी को भगवान राम और माता सीता के विवाह के उत्सव के रूप में मनाने की परंपरा रही है। ऐतिहासिक दृष्टिकोण से भी देखें तो तुलसी दास ने रामचरित्र मानस के लेखन का कार्य भी विवाह पंचमी के दिन ही पूर्ण किया था।

इस वजह से है विवाह पंचमी का महत्व

सनातन धर्म में विवाह पंचमी के दिन भगवान राम और माता सीता की पूजा का नियम है। धार्मिक मान्यता है कि जिन लोगों की शादी में बाधाएं उत्पन्न हो रही है, उन्हें विशेषकर विवाह पंचमी पर पूजन करना चाहिए। विवाह पंचमी पर यथोचित तरीके से पूजन करने पर सुयोग्य साथी की प्राप्ति होती है। इस दिन पूजा अर्चना करने से वैवाहिक जीवन भी सुखमय बनता है।

विवाह पंचमी पर ऐसी है पूजा विधि

प्रातः उठकर नित्यकर्म से निवृत्त होने के बाद साफ वस्त्र धारण करें।

भगवान के समक्ष श्री राम विवाह का संकल्प करें।

आसन बिछाकर भगवान राम और माता सीता की प्राण प्रतिष्ठा करें।

भगवान राम को पीले और माता सीता को लाल वस्त्र अर्पित करें।

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पूजा से संबंधित अन्य कर्मकांड कर पूजन करें।

विवाह पंचमी के दिन बालकाण्ड में भगवान राम और माता सीता के विवाह प्रसंग का पाठ करना शुभ माना जाता है। साथ ही इस दिन रामचरितमानस का पाठ भी करना चाहिए।

विवाह पंचमी के पूजन का शुभ मुहूर्त

पंचमी तिथि आरंभ- 18 दिसंबर 2020 को रात 2.22 मिनट से