कई वर्षों से प्राचीन मंदिर की संपत्ति पर दबंगों ने कर रखा था कब्जा, हाईकोर्ट ने सुनाया बड़ा आदेश

तमिलनाडु के पलानी मंदिर मंदिर की भूमि पर जबरन कब्जा करने के एक मामले को लेकर मद्रास हाईकोर्ट ने बड़ा फैसला सुनाया है। दरअसल, तिरुपुर के धारापुरम क्षेत्र में स्थित पलानी मंदिर पर कुछ दबंग लोगों ने कई वर्षों से कब्जा कर रखा था। इसे लेकर मद्रास हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की गई थी। इसी याचिका पर फैसला सुनाते हुए हाईकोर्ट ने कब्जा करने वाले लोगों को बेदखल करने का आदेश सुनाया है। पलानी में स्थित इस मंदिर का पूरा नाम ‘अरुल्मिगु धनदायुथपानी स्वामी मंदिर’ है। ये तमिलनाडु के सबसे अमीर मंदिरों में से एक है। ये एक प्राचीन मंदिर है।

हाईकोर्ट ने मंदिर को बच्चे के सामान बताया

इस मामले में अपना फैसला सुनाते हुए मद्रास हाईकोर्ट ने कहा है कि मंदिर की प्रतिमा एक बच्चे के समान है और उसकी संपत्ति की सुरक्षा करना हमारी जिम्मेदारी है। जस्टिस RMT टीका रमन ने उन लोगों को बेदखल करने का आदेश दिया, जिनके परिवार कई वर्षों से मंदिर की संपत्ति पर कब्ज़ा कर के बैठे हुए थे।

मद्रास हाईकोर्ट ने कहा कि कानून के हिसाब से मंदिर की प्रतिमा एक नाबालिग बच्चे के समान है। कोर्ट उस नाबालिग बच्चे का अभिभावक है, व्यक्ति का भी और संपत्ति का भी। कोर्ट को मंदिर की संपत्ति की ऐसे ही रक्षा करनी है, जैसे नाबालिग बच्चे की। कोर्ट ने कहा कि उक्त मंदिर को 60 सालों तक उसकी संपत्ति के इस्तेमाल से रोका गया। साथ ही बचाव पक्ष मंदिर की संपत्ति पर अपना अधिकार साबित करने में नाकाम रहे।

बताया जा रहा है कि इस मंदिर की संपत्ति को इनाम के रूप में अंग्रेजों ने 1863 में कुछ लोगों को दे दिया था। बचाव पक्ष का कहना था कि कई पुश्तों ने इस जमीन पर उनका मालिकाना हक़ रहा है, इसीलिए वो ही इस संपत्ति के स्वामी हैं। हालांकि, कोर्ट ने पाया कि बचाव पक्ष ने कहा था कि वो मंदिर को किराया देते हैं, इसका अर्थ है कि वो मालिक नहीं बल्कि किराएदार हैं।

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इसीलिए उस संपत्ति में किसी भी पट्टा पर मालिकाना दावा करने से कोर्ट ने उन लोगों को रोक दिया। तमिलनाडु में इनाम अबॉलिशन एक्ट भी आया था, लेकिन इसके तहत तहसीलदार स्तर पर हुए समझौते के बाद ये लोग मंदिर की संपत्ति पर बने हुए थे। चूंकि जमीन के मालिकाना हक़ का दावा करने वाले लोग दबंग हैं और इसके लिए विभिन्न संदिग्ध माध्यमों का इस्तेमाल कर रहे थे, मद्रास हाईकोर्ट ने अधिकारियों को निर्देश दिया है कि वो 4 सप्ताह में मंदिर की संपत्ति खाली कराएं।