तैमूर से लेकर हिटलर तक, ये हैं दुनिया के सबसे क्रूर शासक

जब सत्ता के नशे की खुमारी सिर पर चढ़ती है तो यह अच्छे से अच्छे इंसान को एक अत्याचारी दरिंदा बनाकर छोड़ती है। इसके बाद ये शासक अनाचार और क्रूरता की सभी हदों को पार कर जाते हैं। इतिहास के पन्नों को देखें तो ऐसे कई शासक समय-समय पर दुनिया के सामने आते रहे हैं। कुछ नेताओं की क्रूरता तो मानव इतिहास में सबसे खूंखार है। किसी ने उन सभी को महान बताया तो किसी दैत्य और असुरों से तुलना की। आइए, इतिहास के पन्नों से जानते हैं अब तक के ऐसे ही कुछ सबसे क्रूर शासकों के बारे में -:

अत्तीला हूण, शासन काल : ई. 434-453

अपने चाचा की मौत बाद, अत्तीला हूण ने अपने भाई ब्लेदा के साथ संयुक्त तौर पर हूणिक यानी हूण साम्राज्य की गद्दी संभाली। हूण साम्राज्य का तत्कालीन केंद्र वर्तमान हंगरी में केंद्रित है। अत्तीला ने अपने शासनकाल में हूण साम्राज्य का विस्तार वर्तमान जर्मनी, रूस, यूक्रेन और बाल्कन तक किया। अत्तीला ने रोमन समुदाय के लोगों पर भी खूब अत्याचार किए। अत्तीला अक्सर कहता था, वहां, जहां से मैं गुजरा हूं, वहां घास कभी नहीं बढ़ेगी।

चंगेज खान, शासन काल : 1206-1227

चंगेज खान बाल्यकाल में एक गुलाम की तरह रहा। अपनी किशोरावस्था के दौरान उसने मंगोल जनजातियों को एकजुट किया। इसके बाद आक्रमण करते हुए मध्य एशिया और चीन के एक बड़े हिस्से को जीत लिया। इतिहास के पन्नों में उसकी शासन शैली को क्रूर बताया गया है।

इतिहासकारों का कहना है कि उसने सामूहिक रूप से लोगों का नरसंहार किया था। चंगेज खान भारत तक भी आया था, लेकिन दिल्ली के सुल्तान इल्तुमिश के पराजय स्वीकार करने पर सिंधु नदी के किनारे से ही लौट गया। उसने मंगोल साम्राज्य की नींव रखी थी। 1227 में चंगेज खान का इंतकाल हो गया था।

तैमूर, शासन काल : 1370-1405

तैमूर लंग उर्फ तैमूर लंगड़ा या टेमरलेन ने 1398 में भारत पर आक्रमण किया। उसने सिंधु नदी को पार किया और मुल्तान पर कब्जा किया तथा दिल्ली तक चला आया। तैमूर ने आधुनिक ईरान, सीरिया सहित पश्चिमी एशिया के एक बड़े हिस्से से तक सैन्य अभियानों का नेतृत्व किया।

वर्तमान के अफगानिस्तान में, उसने जिंदा लोगों को दीवारों में चुनवाकर एक टावर बनवाया था। अपने शासनकाल के दौरान विद्रोहियों को कुचलने के लिए नरसंहार भी कराए। वह अपने पूर्वज चंगेज खान की राह पर चल निकला था। उसने दूसरे धर्म को मानने वाले लोगों के घर जलाए। दिल्ली, पानीपत, मेरठ में बड़े स्तर पर लूटपाट और चुन-चुन कर हिंदुओं का नरसंहार किया। सैकड़ों महिलाओं की अस्मत लूटी। 

क्वीन मैरी-I (ब्लडी मैरी), शासन काल : 1553-1558

राजा हेनरी अष्टम और आरागॉन के कैथरीन की एकमात्र संतान, मैरी प्रथम (मैरी ट्यूडर)  सैन्य आक्रमण के बलबूते 1553 में इंग्लैंड की रानी बनीं और जल्द ही कैथोलिक धर्म (पिछले शासकों द्वारा प्रोटेस्टेंटवाद का समर्थन करने के बाद) को मुख्य धर्म के रूप में फिर से स्थापित किया और स्पेन के प्रिंस फिलिप द्वितीय – एक कैथोलिक से शादी की।

अगले कुछ वर्षों में, कैथोलिक धर्म थोपने का विरोध करने पर सैकड़ों प्रोटेस्टेंट समुदाय के लोगों को मौत के घाट उतार दिया गया, और इसके लिए उसे ब्रिटिश क्वीन मैरी को ‘ब्लडी मैरी’ भी कहा जाता है। मैरी इंग्लैंड पर शासन करने वाली पहली रानी है। इंग्लैंड में रोमन कैथोलिक धर्म को बहाल करने के दौरान प्रोटेस्टेंटों के उत्पीड़न के लिए कुख्यात रही।

व्लादमीर लेनिन, शासन काल : 1917-1924

व्लादिमीर इलिच उल्यानोव का जन्म 22 अप्रैल, 1870 को वोल्गा नदी के किनारे सिम्ब्रिस्क शहर में हुआ था। व्लादिमीर किशोरावस्था से ही कथित क्रांतिकारी गतिविधियों में लिप्त रहा। सेंट पीटर्सबर्ग से निर्वासन के बाद साइबेरिया पहुंचा, और शादी के बाद 1901 में लेनिन नाम अपनाया। करीब 15 साल पश्चिमी यूरोप में गुजारने के दौरान वह रशियन सोशल डेमोक्रेटिक वर्कर्स पार्टी के ‘बॉल्शेविक’ धड़े के नेता बन गया।

1917 में सोवियत रूस में लेनिन के नेतृत्व वाले सशस्त्र विद्रोहियों ने जारशाही सरकार को उखाड़ फेंका। इसे अक्तूबर क्रांति के तौर पर जाना जाता है। लेनिन के हाथ में सत्ता आ चुकी थी, लेकिन तीन साल तक रूस में गृहयुद्ध चलता रहा। क्रांति, युद्ध और अकाल की अवधि के दौरान, लेनिन ने देशवासियों की उपेक्षा की। अपने विरोध में उठने वाली हर आवाज को बेरहमी से कुचल दिया। 24 जनवरी, 1924 में को लेनिन की मौत हो गई थी। लेकिन अपने पीछे मार्क्सवाद-लेनिनवाद की विचारधारा छोड़ गया।

जोसेफ स्टालिन, शासन काल : 1922-1953

स्टालिन का जन्म जॉर्जिया में हुआ था। वह बचपन से ही मार्क्स से प्रभावित था। कथित क्रांतिकारी गतिविधियों के कारण स्टालिन को भी निर्वासन सहने पड़े। इस दौरान वह साइबेरिया में रहा। लेनिन की मौत के बाद उसके उत्तराधिकारी के तौर पर जोसेफ स्टालिन उभरा। 1930 के दशक में स्टालिन ने त्वरित औद्योगीकरण और सामूहिकीकरण के लिए मजबूर किया, जो बड़े पैमाने पर भुखमरी, श्रम शिविरों में लाखों लोगों की कैद और मौत के लिए जिम्मेदार था।

स्टालिन साम्यवादी नेता ही न था, वह एक तानाशाह भी था। 1936 में 13 रूसी नेताओं को सजा-ए-मौत दी। कहा जाता है कि स्टालिन ने अपनी ही पार्टी की सेंट्रल कमेटी के 139 में से 93 लोगों और सेना के 103 जनरल और एडमिरल में से 81 को मरवा दिया था। क्योंकि, उसे विद्रोह की आशंका थी। स्टालिन के काल में ही सोवियत संघ ने पहले परमाणु बम का परीक्षण किया था। 05 मार्च, 1953 को स्टालिन का निधन हो गया।

एडॉल्फ हिटलर, शासन काल : 1933-1945

एडॉल्फ हिटलर एक खूंखार जर्मन तानाशाह था। उसके मन में युवावस्था के दौरान ही यहूदियों और समाजवादियों के प्रति नफरत बढ़ने लगी थी। प्रथम विश्व युद्ध के दौरान हिटलर सेना में शामिल हुआ और जर्मनी की तरफ से लड़ा। लेकिन जर्मनी की हार के बाद उसने सेना छोड़कर जर्मन वर्कर पार्टी की सदस्यता ली, जो बाद में नाजी पार्टी बन गई। इसके बाद उसने लोगों को यहूदियों और समाजवादियों के खिलाफ भड़काना शुरू कर दिया। 1930 से 32 के दौरान जब जर्मनी में आर्थिक मंदी का दौर आया, तब तक वह सत्ता के केंद्र तक पहुंच गया था।

उसने अपने आपको जर्मनी का राष्ट्रपति और सर्वोच्च न्यायाधीश घोषित कर दिया। उसने तंबाकू पर सख्त प्रतिबंध के नाम पर यहूदियों को चुन-चुनकर मरवाया। नाजी विरोधियों को जेलों में ठूंस दिया गया। हिटलर के शासनकाल का होलोकास्ट इतिहास का वह वीभत्स नरसंहार था, जिसमें करीब छह साल में 60 लाख यहूदियों का कत्लेआम किया गया था। इनमें 15 लाख तो सिर्फ बच्चे थे। 1941 के अंत तक हिटलर के जर्मन साम्राज्य में तकरीबन सभी यूरोपीय देश और उत्तरी अफ्रीका का एक बड़ा हिस्सा शामिल था। कहा जाता है कि हिटलर के शासन में नाजियों ने लगभग 1 करोड़ लोगों को मारा था।

माओत्से तुंग, शासन काल : 1949-1976

चीन का कथित साम्यवादी माओत्से तुंग उर्फ माओ जेडॉन्ग, चीन में उद्योग और कृषि को राज्य के नियंत्रण में रखा गया था। सत्ता के खिलाफ किसी भी प्रकार से उठने वाले विरोध को तेजी से दबा दिया गया। माओ के समर्थक बताते हैं कि उसने चीन का आधुनिकीकरण किया।

लोगों का कहना है कि उसकी नीतियों के भुखमरी, जबरन श्रम और फांसी की सजाओं के माध्यम से चार करोड़ लोगों को जान गंवानी पड़ी। माओत्से तुंग-कम्युनिस्ट क्रांतिकारी विफल सामाजिक-राजनीतिक प्रयोगों के लिए भी जाना जाता है। इसके बावजूद चीन में करोड़ों लोग और अधिकांश राजनेता माओत्से, जो अपने ही लाखों देशवासियों की मौतों का जिम्मेदार है, की विचारधारा का सम्मान करने वाले हैं।

ईदी अमीन, शासन काल : 1971-1979

युगांडा के जनरल ईदी अमीन एशियाई लोगों से अत्यधिक नफरत करता था। उसने सैन्य तख्तापलट के माध्यम से युगांडा की निर्वाचित सरकार को उखाड़ फेंका और खुद को राष्ट्रपति घोषित कर दिया था। आठ साल तक बेरहमी से शासन के दौरान उसने लाखों लोगों को मौत की नींद सुला दिया। इसलिए उसे हैवान, दैत्य और राक्षस कहा जाता है।

इंसानियत के दुश्मन अमीन के बारे में कहा जाता है कि वह लोगों का खून पीता था, नरमांस खाने का शौकीन था। उसने युगांडा से एशियाई लोगों को खदेड़ दिया। उस कालखंड को युगांडा के इतिहास का काला अध्याय कहा जाता है। कहा यह भी जाता है कि उसे मुर्दाघरों में एकांत वक्त बताने का शौक था।

ऑगस्तो पिनोशे, शासन काल: 1973-1990

जनरल ऑगस्तो पिनोशे 17 साल तक चिली के सैन्य तानाशाह शासक रहे हैं। ऑगस्तो पिनोशे उग्राते का जन्म 1915 को हुआ था। पिनोशे ने 1973 में अमेरिका समर्थित तख्तापलट की मदद से चिली में सल्वाडोर एलेंडे की लोकतांत्रिक सरकार को उखाड़ फेंका था। इसके बाद, वहां के बाद हिंसा और क्रूरता का दौर चला। रिपोर्टों में कहा गया है कि शासन के तहत कई लोग ‘गायब’ हो गए और 35,000 को प्रताड़ित किया गया।

पिनोशे के राष्ट्रपति बनने के दो दिन बाद ही नागरिक अधिकार निलंबित कर दिए गए, मार्क्सवादी पार्टियां अवैध घोषित कर दी गईं। अधिकारों में कटौती करते हुए सेंसरशिप लागू कर दी गई। बाद में ब्रिटेन में इलाज के दौरान अक्तूबर 1998 में उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया था। फिर, उनका प्रत्यर्पण हुआ। सेंटियागो में उन पर मानवाधिकार हनन के अलावा टैक्स चोरी और भ्रष्टाचार के आरोप भी लगे और मृत्यु तक वह आरोप झेलते रहे।

नीरो

जब रोम जल रहा था तो नीरो बांसुरी बजा रहा था- यह पंक्ति दुनिया भर में काफी प्रचलित है। केवल 17 साल की उम्र में नीरो ने सन 0054 से लेकर 0068 तक रोम की सत्ता पर राज किया था। इस दौरान उसने क्रूरता की सभी हदे पार कर दी थी। ऐसा माना जाता है कि नीरो ने अपनी मां और अपनी दो पत्नियों की हत्या करा दी थी। इसके बाद उसने रोम की एक शादीशुदा महिला के पति को मरवाया और विरोध करने पर उसकी पत्नी को भी मरवा दिया। हालांकि, नीरो का भी बुरा समय जल्द आया। अपनी गिरफ्तारी और फांसी से बचने के लिए नीरो ने आत्महत्या कर ली थी। वह जूलियो-क्लौडियन राजवंश का अंतिम सम्राट था।