प्रदेश की कर्मचारी विरोधी नीतियों के कारण कर्मचारी नाराज

लखनऊ। कर्मचारी शिक्षक संयुक्त मोर्चा की बैठक में आंदोलन करने का निर्णय लिया गया है। मोर्चा की 19 अगस्त की बैठक में आंदोलन की रूपरेखा घोषित की जाएगी। बैठक में राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद, राजकीय निगम कर्मचारी महासंघ ,स्थानीय निकाय कर्मचारी महासंघ, माध्यमिक शिक्षक संघ, विकास प्राधिकरण कर्मचारी संयुक्त संगठन, शिक्षणेत्तर कर्मचारी महासंघ, डिप्लोमा फार्मासिस्ट फेडरेशन, फेडरेशन ऑफ फारेस्ट कर्मचारी संघ, राजकीय शिक्षक संघ आदि उपस्थित थे।


मोर्चा के अध्यक्ष वी पी मिश्रा एवं महासचिव शशि कुमार मिश्र ने बताया कि वेतन समिति की संस्तुतियों, महंगाई भत्ते की बकाया किस्तों के भुगतान करने का निर्णय न करने तथा विभिन्न कैडरों का केंद्र सरकार की भांति पुनर्गठन न करने, वेतन विसंगतियों को दूर न करने, राजकीय निगमों, स्थानीय निकायों के संवर्गों का पुनर्गठन न करने तथा उनकी मंगाई भत्ते को राज्य कर्मियों के बराबर न करने तथा घाटे के नाम पर कर्मचारियों के वेतन भत्ते ,सेवानिवृत्ति लाभ न देने, आउटसोर्सिंग/संविदा पर रोक तथा नियमित भर्ती एवं पदोन्नतिया न करने के कारण प्रदेश का लाखों कर्मचारी अत्यधिक आक्रोशित है। भीषण महंगाई से त्रस्त कर्मचारी अब बड़ा आंदोलन करने के मूड में है।


द्वय नेताओं ने प्रदेश सरकार से आग्रह किया है कि मोर्चा की मांगों पर यदि निर्णय न किया गया तो बाध्य होकर आंदोलन की घोषणा करेगा। उक्त आंदोलन के प्रथम चरण में सभी माननीय विधायकों को ज्ञापन देकर मांगों पर निर्णय कराने का आग्रह किया जाएगा। इसके बाद ब्लॉक, पीएचसी, सीएचसी से लेकर मुख्यालय तक आंदोलन की घोषणा की जाएगी। मोर्चा जनता को भी बताएगा कि कोविड-19 की महामारी में जान पर खेलकर मरीजों की सेवा की है। स्वयं कई लोग दिवंगत हो गए हैं। उनके परिवार भीषण महंगाई से परेशान हैं।

जब सरकार संकट में थी तब कर्मचारियों ने 1 दिन का वेतन देकर सहयोग किया था। अब जब कर्मचारी परिवार संकट में है तो प्रदेश सरकार उनके बकाया का भुगतान भी नहीं कर रही है। यहां तक की बीमारी के इलाज का रिम्बर्समेंट भी बंद है। इसलिए आंदोलन करने को विवश होना पड़ रहा है।