दिल्ली हिंसा को लेकर मुख्यमंत्री ने कर दी बड़ी मांग, पीएम मोदी को दी सलाह

राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कहा कि गणतंत्र दिवस के दिन दिल्ली में स्थित लालकिले पर हुए घटनाक्रम की न्यायिक जांच करवाई जानी चाहिए। सवाल उठ रहे है कि इसके लिए ज्यूडीशियरी की इन्क्वायरी क्यों नहीं बिठाई जा रही है? अगर ज्यूडीशियरी इन्क्वायरी बिठाते, तो लॉन्ग टर्म में आपको मालूम पड़ता कि वास्तव में जो लोग लगभग 70 दिन तक शांति के साथ बैठे हुए थे, वो तो ऐसी गड़बड़ी कर नहीं सकते। ऐसी क्या स्थिति बन गई कि कुछ लोग लाल किले तक पहुंच गए? ये जांच का विषय है, इसकी जांच होनी चाहिए।

मुख्यमंत्री ने दी नई सलाह

मुख्यमंत्री गहलोत शनिवार दोपहर सीएमआर पर पत्रकारों से बातचीत कर रहे थे। उन्होंने कहा कि किसानों ने 65 दिन तक धैर्य रखा है, वो अद्भुत था। पूरे देश-दुनिया में शांति-सद्भावना के इस आंदोलन का मैसेज गया है। कई दौर की वार्ताओं के बाद भी कोई नतीजा नहीं निकला। 26 जनवरी को जो कुछ भी हुआ उसे कोई सपोर्ट नहीं कर सकता, उसको हम कंडेम करते हैं क्योंकि लोकतंत्र में हिंसा का कोई स्थान नहीं होता है।

उन्होंने कहा कि एंटी-सोशल एलीमेंट ने लाल किले पर जो तमाशा किया, उसकी सबने घोर निंदा की है। भारत सरकार ने इस मामले में जो रुख अख्तियार किया है वो उचित नहीं है। ये लोकतंत्र है। कई बार ऐसी स्थिति आती है, जिन वर्गों के हितों की बात करते हैं उन वर्गों से अगर बातचीत आपने नहीं की, अगर आपने भूल कर दी, भूल हो गई आपसे, सुधारने में क्या हर्ज़ हो सकता है आपको? पार्लियामेंट में आपने डिस्कशन नहीं होने दिया तो ज्यादा आशंका बढ़ गई किसानों की। अब भी मौका है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी किसानों को बुलाकर बातचीत करें, रास्ता निकल सकता है। लंबे समय तक इस प्रकार का आन्दोलन उचित नहीं कहा जा सकता और यह देश के हित में भी नहीं है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि जिन्हें हम अन्नदाता कहते हैं उनकी अपनी आशंकाएं हैं, वो चिंतित हैं अपने खुद के लिए, परिवार के लिए, आने वाली पीढिय़ों के लिए। ये कोई प्रेस्टीज पॉइन्ट नहीं होना चाहिए। ये तो लोकतंत्र है, लोकतंत्र में कई बार अगर आप फैसला बदलते भी हो, तो उसका वेलकम किया जाता है।

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मुख्यमंत्री ने कहा कि ये जो कुछ भी हरकतें हो रही हैं इसमें बीजेपी का नाम आ रहा है। बीजेपी के इशारे पर हो रहा है। अविश्वास इतना पैदा हो चुका है कि उसमें आरोप लग रहे हैं। ये काम पुलिस का है, सरकार का है कि वो क्या फैसला करती है, क्या वार्ता करती है किसानों से? आप गांववालों को भेज रहे हो, वहां जाकर के टकराव पैदा कर रहे हो, ये अच्छी बात नहीं है।