अटेवा: पुरानी पेंशन की मांग का ज्ञापन सौंपा, नई पेंशन व्यवस्था का किया विरोध

लखनऊ अटेवा पेंशन बचाओ मंच उत्तर प्रदेश की ओर से 20 फरवरी से 10 मार्च तक जन प्रतिनिधियों को एनपीएस व निजीकरण के विरोध में पूरे प्रदेश में ज्ञापन दिए जा रहे हैं। इसी क्रम में गुरुवार को नेता प्रतिपक्ष रामगोविंद चौधरी को प्रदेश अध्यक्ष विजय कुमार बन्धु के नेतृत्व में ज्ञापन दिया गया। प्रदेश अध्यक्ष विजय कुमार बन्धु ने नेता प्रतिपक्ष रामगोविंद चौधरी जी को बताया कि केंद्र सरकार की नौकरियों में 1 जनवरी 2004 तथा उत्तर प्रदेश सरकार की नौकरियों में एक अप्रैल 2005 से शिक्षकों कर्मचारियों अधिकारियों को दी जाने वाली सामाजिक सुरक्षा पुरानी पेंशन व्यवस्था (OPS) को  समाप्त कर बाजार आधारित नई पेंशन व्यवस्था (NPS) लागू कर दी गई है जो ना तो शिक्षकों अधिकारियों कर्मचारियों के हित में है और न ही प्रदेश व देश के हित में है।अटेवा NPS व निजीकरण का पुरजोर विरोध करता है।

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विजय बन्धु ने बताया कि सरकारी संपत्तियां देश की धरोहर हैं। सरकारी संस्थान रोजगार सृजन के माध्यम है। सरकारी संस्थान हमारे देश के गौरव हैं इन संस्थानों का निजीकरण किया जाना देश के लिए अत्यंत ही दुर्भाग्यपूर्ण है। इन संस्थाओं की परिसंपत्तियां एवं उनमें कार्यरत कर्मचारी देश के विकास में महत्वपूर्ण योगदान दे रहे हैं जिनको निजी हाथों में सौंपना उचित नहीं है । निजीकरण से जनता का शोषण तथा प्राइवेट कंपनियों को लाभ होगा । जो कि लोक कल्याणकारी राज्य की संकल्पना के खिलाफ है।

प्रदेश महामंत्री डॉ. नीरज पति  त्रिपाठी ने कहा कि सरकारी संस्थायो व सरकारी नौकरियो का खत्म करना युवाओ के साथ धोखा है। सरकारी कर्मियो की सुविधाओं मे लगातार कटौती की जा रही है जो अनुचित है। प्रदेश मीडिया प्रभारी डॉ राजेश कुमार ने बताया कि पुरानी पेंशन की बहाली के लिए पूरे प्रदेश में 20 फरवरी से लेकर 10 मार्च तक NPS और निजीकरण के विरोध में प्रदेश भर के जनप्रतिनिधियों को ज्ञापन दिया जा रहा है । इसी क्रम में अंबेडकर नगर के सांसद रितेश पांडे को प्रदेश सलाहकार राकेश रमन व संजय उपाध्याय द्वारा लोकसभा नगीना के सांसद गिरीश चंद को प्रदेश उपाध्यक्ष चंद्रहास सिंह द्वारा, आप के नेता राज्य सभा सदस्य संजय सिंह को रामेन्द्र श्रीवास्तव, रजत प्रकाश व सचिंदानंद मिश्र द्वारा सहित पूरे प्रदेश में सभी जनपतिनिधियो को ज्ञापन देकर nps व निजीकरण के खिलाफ समर्थन मांगा जा रहा है। यह अभियान लगातार जारी रहेगा।