समलैंगिक विवाह को कानूनी मान्यता दिलाने को लेकर सुप्रीम कोर्ट आज छठे दिन भी सुनवाई जारी है। शीर्ष अदालत आज इस केस से जुड़े कम से कम 15 याचिकाओं पर सुनवाई कर रही है। इस बीच सरकार और याचिकाकर्ता के वकील अपने-अपने तरीके से दलील दे रहे हैं। लेकिन इस बीच केंद्र सरकार की तरफ से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने सुप्रीम कोर्ट के सामने एक अहम सवाल उठाया है। उन्होंने अदालत में पूछा कि अगर समलैंगिक विवाह के तहत पुरुष-पुरुष आपस में शादी करते हैं तो पत्नी कौन कहलाएगी?

पुरुष-पुरुष में शादी तो पत्नी कौन?: तुषार मेहता
केंद्र सरकार की तरफ से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता नेअदालत में पूछा कि अगर समलैंगिक विवाह के तहत पुरुष-पुरुष आपस में शादी करते हैं तो पत्नी कौन कहलाएगी? दोनों के बीच तलाक का आधार क्या होगा? गुजारा भत्ता से लेकर कई अन्य समस्याएं सामने आएंगी। तुषार मेहता ने कहा कि अगर सुप्रीम कोर्ट समलैंगिक विवाह को मान्यता देने के लिए सोच भी रहा है तो उसे यौन रुझान की 72 अलग-अलग श्रेणियों पर ध्यान देना होगा।
विधवा-विधुर का फैसला कैसे: एसजी तुषार मेहता
केंद्र की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पांच-न्यायाधीशों की संविधान पीठ को बताया कि शीर्ष अदालत एक बहुत जटिल विषय से निपट रही है, जिसका गहरा सामाजिक प्रभाव है। तुषार मेहता ने कहा कि यदि एक साथी की मृत्यु हो जाती है, तो पीछे रहने वाला क्या कहलाएगा विधवा या विधुर।
डोमिसाइल के मुद्दे पर तुषार मेहता ने पूछा सवाल
SG तुषार मेहता ने कहा किअब डोमिसाइल के मुद्दे पर आते हैं। शादी के दौरान पत्नी का डोमिसाइल होता है.. और यह तय करना होगा कि पत्नी कौन है। उत्तराधिकार अधिनियम पिता, माता, भाई, विधवा, विधुर प्रदान करता है … यदि इस संबंध में एक साथी की मृत्यु हो जाती है तो कौन पीछे रह जाता है? विधवा या विधुर?
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शीर्ष अदालत को 160 प्रावधानों पर भी गौर करना होगा
तुषार मेहता ने कहा कि शादी से जुड़े कानूनों के अलावा महिला-पुरुष के लिए अलग-अलग 160 प्रावधानों पर भी गौर करना होगा। उन्होंने सवाल किया कि कोर्ट इन सभी प्रावधानों में संशोधन कर विधायिका से भी ऊपर हो गया। केंद्र ने कहा कि शादी का अधिकार मतलब सरकार को शादी की नई परिभाषा गढ़ने के लिए बाध्य करना नहीं हो सकता है।
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