भारत को रूस से मिलने वाले हथियारों की आपूर्ति पर यूक्रेन युद्ध का असर नहीं

यूक्रेन से चल रहे युद्ध का भारत को रूस से मिलने वाले हथियारों की आपूर्ति पर कोई असर नहीं पड़ेगा। भारत और रूस के रिश्ते पहले से ही ठीक हैं और आगे भी बेहतर रहेंगे। इसलिए ‘मेक इन इंडिया’ और ‘आत्मनिर्भर भारत’ के तहत स्वदेशी हथियारों के निर्माण में लगने वाले उपकरणों और हथियारों की आपूर्ति में कोई दिक्कत नहीं आने दी जाएगी। युद्ध प्रभावित यूक्रेन से बाहर निकलने वाले भारतीयों को वापस लाने के अभियान ‘ऑपरेशन गंगा’ में आज से वायु सेना भी शामिल हो गई है। तीन परिवहन विमान सी-17 ग्लोबमास्टर पोलैंड, हंगरी और रोमानिया भेजे गए हैं।

पाकिस्तान के साथ राजस्थान के जैसलमेर बॉर्डर पर 07 मार्च को होने वाले प्रदर्शन ‘वायु शक्ति’ की तैयारियों के सिलसिले में बुधवार को हुई प्रेस वार्ता रूस और यूक्रेन युद्ध पर केन्द्रित रही। वायु सेना के उप प्रमुख एयर मार्शल संदीप सिंह से ज्यादातर सवाल-जवाब युद्ध के बारे में ही किये गए। यूक्रेन से चल रहे युद्ध के बीच यही चिंता रही कि भारत को रूस से मिलने वाली हथियारों की आपूर्ति पर तो असर नहीं पड़ेगा। इस समय भारत को रूस से ताकतवर एयर मिसाइल डिफेन्स सिस्टम एस-400 की आपूर्ति की जा रही है। इसकी पहली खेप दिसम्बर, 2021 में भारत पहुंच चुकी है। भारतीय वायु सेना को रूस से एस-400 की अभी चार और रेजीमेंट (फ्लाइट) मिलनी हैं। हर फ्लाइट में आठ लॉन्चर हैं और हर लॉन्चर में दो मिसाइल हैं।

एयर मार्शल संदीप सिंह ने हिन्दुस्थान समाचार के एक सवाल के जवाब में कहा कि यूक्रेन से युद्ध का भारत को मिलने वाली एस-400 की आपूर्ति पर कोई असर नहीं पड़ेगा। वैसे उन्होंने माना कि युद्ध शुरू होने पर इस बात की चिंता जरूर हुई थी। बाद में रूसी रक्षा मंत्रालय से भरोसा दिया गया कि भारत और रूस के रिश्ते पहले से ही ठीक हैं। आगे भी बेहतर रहेंगे, इसलिए ‘मेक इन इंडिया’ और ‘आत्मनिर्भर भारत’ के तहत स्वदेशी हथियारों के निर्माण में लगने वाले उपकरणों और हथियारों की आपूर्ति में कोई दिक्कत नहीं आने दी जाएगी। उन्होंने यह भी कहा कि भारत ने एलसीए तेजस मार्क वन, मल्टी रोल फाइटर एयर क्राफ्ट (एमआरएफए) और पांचवीं पीढ़ी के एडवांस्ड मीडियम कॉम्बैट एयरक्राफ्ट (एएमसीए) के काफी पुर्जे भारत में ही बना लिये गए हैं, इसलिए अब विदेशी निर्भरता कम हो गई है।

यूक्रेन में फंसे भारतीयों की निकासी के सवाल पर उन्होंने बताया कि विदेश मंत्रालय के समन्वय में भारतीय वायु सेना भी आज से ‘ऑपरेशन गंगा’ में शामिल हो गई है। भारतीय नागरिकों को स्वदेश लाने के लिए वायु सेना का पहला परिवहन विमान सी-17 ग्लोबमास्टर बुधवार तड़के 4 बजे घरेलू एयरबेस हिंडन से बुखारेस्ट (रोमानिया) के लिए रवाना हुआ। इसके बाद दिन में दो और विमान रेजसो (पोलैंड) और बुडापेस्ट (हंगरी) भेजे गए हैं। इन विमानों से उन भारतीयों को लाया जायेगा, जो युद्ध प्रभावित यूक्रेन से बाहर निकल गए थे। उन्होंने बताया कि पहले इन विमानों को पाकिस्तान के हवाई क्षेत्र से होकर जाने के लिए कार्यक्रम बनाया गया था, जो महज 15-20 मिनट पाकिस्तान के हवाई क्षेत्र का इस्तेमाल करते लेकिन आखिरी क्षणों में किसी भी तरह के विवाद से बचने के लिए हवाई मार्ग में परिवर्तन कर दिया गया।

पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी का वाराणसी में विरोध, जगह— जगह दिखाये गये काले झंडे

एयर मार्शल सिंह ने बताया कि प्रत्येक विमान में 180 सीटों की व्यवस्था की गई है यानी एक विमान में 200 भारतीयों को वापस लाया जा सकेगा। विमानों के साथ सहायता सामग्री, खाद्य सामग्री, दवाएं और अन्य राहत सामग्री भी भेजी गई है ताकि मुसीबत में फंसे भारतीय नागरिकों को भारत आने के दौरान लगभग 8 घंटे की फ्लाइट में खाने-पीने की भी सुविधा दी जा सके। वायुसेना को हाल ही में तालिबानी अफगानिस्तान से भारतीय नागरिकों को सुरक्षित लाने का अनुभव है, जब वायु सेना ने ‘ऑपरेशन देवी शक्ति’ शुरू किया था। तब दोहा, ताजिकिस्तान और काबुल के रास्ते अलग-अलग उड़ानों में 650 से अधिक नागरिकों को भारत लाया गया था। इनमें से 260 से अधिक भारतीय थे। वायु सेना का यह ऑपरेशन तब तक 24 घंटे चलता रहेगा, जब तक सभी भारतीयों की सुरक्षित निकासी नहीं हो जाती।