उत्तराखंड खासकर कॉर्बेट टाइगर रिजर्व में गजराजों का कुनबा लगातार बढ़ रहा है
लखनऊ। उत्तराखंड में एक बार फिर रिहायशी इलाकों में हाथी आने की खबर आई है। हाथियों को सड़क पर अपने बच्चों के साथ देखकर लोगों की सांसे अटक गई कि कहीं गाड़ियों का शोर सुन कर हाथी बेकाबू ना हो जाएं और तोड़फोड़ शुरू न कर दें। क्योंकि अक्सर देखा गया है कि इस तरह से भीड़ या शोर सुनकर हाथी बेकाबू हो जाते हैं और तोड़फोड़ कर देते हैं। इससे पहले भी दो हाथी ऐसे देखे गए थे, जो काफी समय तक गाड़ियों में तोड़फोड़ करते दिखे थे।
इस खबर के साथ ही हम आपको बताते हैं कि जिम कॉर्बेट पार्क में हैं करीब 1225 हाथी हैं। जानकारों के मुताबिक 2015 के आंकड़ों के मुताबिक 20 प्रतिाश्त बढ़े थे गजराज। 2007 में महज 650 हाथी थे, 2015 में इनकी संख्या 1035 आंकी गयी थी, मगर हाल ही में इनकी संख्या 1224 पायी गयी है, यानी 2015 की तुलना में कॉर्बेट टाइगर रिजर्व में बीस प्रतिशत गजराज बढें हैं
हाथियों में होती विलक्षण स्मरण क्षमता
हाथी एक जगह पर नहीं ठहरते हैं। उनमें लंबा प्रवास करने की प्रकृति पाई जाती है। उनकी इस प्रवृत्ति को माइग्रेशन कहा जाता है। प्रवास यात्रा को पूरा करने के लिए हाथी जिन रास्तों के इस्तेमाल करते हैं उन्हें माइग्रेशन रूट कहा जाता है। ये रास्ते तयशुदा होते हैं। यानी कि हाथी अपनी तेज स्मरण शक्ति के कारण इन तयशुदा रास्तों को कभी नहीं भूलते और अपनी प्रवास यात्रा इन्हीं रास्तों से करते हैं। हाथियों की यही विलक्षण स्मरण क्षमता वंशागत होकर उनकी पीढ़ी में भी चली गई। इसीलिए हाथियों की हर पीढ़ी आज भी उन्हीं रास्तों का इस्तेमाल करती है, जो उनके पूर्वजों ने खोजे थे।
भारतीय धर्म और संस्कृति में हाथी का बहुत ही महत्व
हाथी को पूज्जनीय माना गया है। भारत में अधिकतर मंदिरों के बाहर हाथी की प्रतीमा लगाई जाती है। वास्तु और ज्योतिष के अनुसार भारतीय घरों में भी चांदी, पीतल और लकड़ी का हाथी रखने का प्रचलन है। कहते हैं कि जिस घर में हाथी की प्रतीमा होती है वहां पर सुख, शांति और समृद्धि रहती है। हाथी घर, मंदिर और महल के वास्तुदोष को दूर करके यह उक्त स्थान की शोभा बढ़ाता है।
विघ्नहर्ता गणपति के रूप में पूजनीय
हाथी को विघ्नहर्ता गणपति जी के रूप में भी पूजा जाता है। इसलिए भी हाथी हिन्दू धर्म में सबसे पूज्जनीय पशु माना जाता है। हिन्दू धर्म में अश्विन मास की पूर्णिमा के दिन गजपूजाविधि व्रत रखा जाता है। सुख-समृद्धि की इच्छा से हाथी की पूजा करते हैं। हाथी को पूजना अर्थात गणेशजी को पूजना माना जाता है। हाथी शुभ शकुन वाला और लक्ष्मी दाता माना गया है।
हाथी द्वारा विष्णु स्तुति का वर्णन मिलता है
श्रीमद्भागवत पुराण के अनुसार हाथी द्वारा विष्णु स्तुति का वर्णन मिलता है। कहते हैं कि क्षीरसागर में त्रिकुट पर्वत के घने जंगल में बहुत से हाथियों के साथ ही हाथियों का मुखिया गजेंद्र नामक हाथी भी रहता था। गजेन्द्र मोक्ष कथा में इसका वर्ण मिलेगा। गजेन्द्र नामक हाथी को एक नदी के किनारे एक मगरमच्छ ने उसका पैर अपने जबड़ों में पकड़ लिया था जो उसके जबड़े से छूटने के लिए विष्णु की स्तुति की। श्री हरि विष्णु ने गजेन्द्र को मगर के ग्राह से छुड़ाया था। कहते हैं कि यह गजेंद्र अपने पूर्व जन्म में इंद्रद्युम्न नाम का राजा था जो द्रविड़ देश का पांड्यवंशी राजा था।