Egyptian President Abdel-Fattah el-Sissi, left, and Indian Prime Minister Narendra Modi pose for photographers at the start of a meeting in New Delhi, India, Friday, Sept. 2, 2016. El-Sissi is on a three-day official visit to India. (AP Photo/Saurabh Das, Pool)

इस इस्लामिक देश को क्यों इतनी तवज्जो दे रही मोदी सरकार?

भारत मध्य-पूर्व के देशों में अपनी आर्थिक और रणनीतिक पकड़ मजबूत करने की कोशिश कर रहा है. गणतंत्र दिवस के मौके पर भारत ने मध्य-पूर्व के सबसे अधिक आबादी वाले देश मिस्र के राष्ट्रपति को बतौर चीफ गेस्ट आमंत्रित किया है. अब्देल फतेह अल-सीसी मिस्र के पहले राष्ट्रपति होंगे जो गणतंत्र दिवस समारोह में शामिल होंगे. भारत और मिस्र के संबंध बेहद पुराने रहे हैं लेकिन पिछले कुछ दशकों में दोनों देशों के रिश्ते कमजोर हुए थे जिसे अब फिर से मजबूत करने की कोशिश की जा रही है.

भारत और मिस्र के राजनयिक रिश्तों को इस वर्ष 75 साल हो जाएंगे. मिस्र में भारत के राजदूत अजीत गुप्ते ने भी एक बयान जारी कर दोनों देशों ऐतिहासिक रिश्तों पर बात की है. राजदूत ने कहा कि मिस्र के राष्ट्रपति का भारत दौरा दोनों देशों के द्विपक्षीय रिश्तों की एक नई शुरुआत करेगा. उन्होंने कहा कि दोनों देश उपनिवेशवाद की बेड़ियां तोड़कर आजाद हुए हैं और दोनों के बीच ऐतिहासिक काल से मित्रता के संबंध चले आ रहे हैं.

भारतीय राजदूत ने कहा, ‘दुनिया की सबसे प्राचीन सभ्यताएं भारत और मिस्र कई शताब्दियों तक घनिष्ठ मित्र रहे हैं. भारतीय सम्राट अशोक के शिलालेखों में टॉलेमी द्वितीय के शासनकाल में मिस्र के साथ संबंधों का उल्लेख है.’

भारत-मिस्र के संबंध ऐतिहासिक

भारत और मिस्र के बीच बहुत पुराने संबंध रहे हैं. 60 के दशक में दोनों देशों के बीच की दोस्ती अपने स्वर्णिम दौर में थी. मिस्र के पूर्व राष्ट्रपति गमाल अब्देल नासिर और भारत के पूर्व प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू के बीच की दोस्ती उन दिनों काफी चर्चित थी. दोनों के बीच इस दोस्ती के कारण ही भारत- मिस्र के बीच 1955 में फ्रेंडशिप ट्रीटी (Friendship Treaty) हुई थी. उसी दौरान नेहरू ने अपने दोस्त नासिर के साथ मिलकर गुटनिरपेक्ष आंदोलन की नींव रखी थी. इस आंदोलन से उन देशों को निरपेक्ष रहने में सहूलियत हुई जो अमेरिका और रूस, किसी एक गुट के पाले में नहीं थे. नेहरू मिस्र को काफी अच्छे से समझते थे और नासिर इस बात के लिए उनकी काफी कद्र करते थे. हालांकि, बाद के वर्षों में मिस्र और भारत की दोस्ती कमजोर पड़ती गई. लेकिन अब भारत ने मिस्र के साथ अपनी ऐतिहासिक दोस्ती को फिर से बढ़ाने की कोशिश शुरू कर दी है.

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भारत के लिए कितना महत्वपूर्ण मिस्र?

भौगोलिक रूप से देखें तो, मिस्र भारत के लिए बेहद महत्वपूर्ण है. मिस्र मध्य-पूर्व में एक अहम स्थान रखता है. वॉशिंगटन डीसी में मिडिल ईस्ट संस्थान में रणनीतिक प्रौद्योगिकी और साइबर सुरक्षा प्रोग्राम के निदेशक मोहम्मद सोलिमन ने फर्स्टपोस्ट से कहा कि दोनों देशों के बीच संबंधों का आगे बढ़ना तय है. भूमध्य सागर, लाल सागर, अफ्रीका और पश्चिम एशिया में मिस्र की महत्वपूर्ण भूमिका है जिस कारण यह भारत के लिए बेहद अहम हो जाता है. खासतौर से मिस्र का स्वेज नहर भारत के लिए अधिक महत्वपूर्ण है जो एशिया और यूरोप के बीच सबसे लोकप्रिय व्यापारिक मार्ग है. मिस्र के अधिकार क्षेत्र में आने वाला स्वेज नहर भूमध्य सागर को लाल सागर और हिंद महासागर से जोड़ता है. मिस्र गैस और तेल उत्पादक देशों यूएई और सऊदी अरब के भी बेहद करीब हो गया है जिस कारण भूमध्य सागर में भी उसका प्रभाव बढ़ रहा है. भारत पश्चिमी एशिया और अफ्रीका में अपनी रणनीतिक बढ़त बनाना चाहता है इसलिए मिस्र के साथ उसकी दोस्ती जरूरी हो गई है. भारत और मिस्र की दोस्ती अगर फलती-फूलती है तो पश्चिम एशिया और अफ्रीका में बड़ा रणनीतिक बदलाव आएगा.