जब देश ने खोये थे अपने 40 जवान, नम आखों से फिर याद आया शहीदों का बलिदान

दो साल पहले कश्मीर के पुलवामा में आत्मघाती हमले में शहीद सीआरपीएफ के 40 जवानों ने देश के लिए सर्वोच्च बलिदान दिया था। पुलवामा आतंकी हमले की दूसरी बरसी के दिन देश शहीद जवानों को याद कर रहा है।  2 साल पहले जम्मू कश्मीर के पुलवामा  में घात लगाए बैठे आतंकवादियों ने सुरक्षाबलों (CRPF) के काफीले पर हमला कर दिया था। भारत के इतिहास में 14 फरवरी 2019 का वो दिन काला दिन कहा जाता है। आज 14 फरवरी 2021 को पुलवामा आतंकी हमले के दो साल पूरे होने पर पीएम से देश का हर व्यक्ति याद कर रहा है। इस आतंकी हमलें में 40 जवान शहीद हो गए थे। आत्मघाती हमलावर ने एक आईईडी से लदी गाड़ी को सुरक्षा बलों के काफिले में घुसा दी थी। इस काफिले में 78 बसें शामिल थी। जिनमें लगभग 2500 जवान जम्मू से श्रीनगर जा रहे थे। करीब 3 बजकर 15 मिनट पर अवंतीपोरा के पास इस हमले को अंजाम दिया गया था।

कहते हैं कि हमले का दावा पाकिस्तान के आंतकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद ने किया था। 22 साल के एक आत्मघाती हमलावर आदिल अहमद डार ने इस हमले को अंजाम दिया था। पुलवामा आतंकी हमले की जांच के लिए राष्ट्रीय जांच एजेंसी भेजी गई थी। 12 सदस्यीय टीम ने जम्मू-कश्मीर पुलिस के साथ काम किया। इस दिन पर शहीदों को याद करने के लिए आप भी उन्हें भावभीनी श्रद्धांजलि दे सकते हैं। देश के लोग नम आंखों से शहीदों को भावभीनी श्रद्धांजलि दे रहे हैं। श्रद्धांजलि देने के लिए लोग गूगल  पर शहीदों की शायरी, शहीदों पर शायरी सर्च कर रहे हैं और सोशल मीडिया पर शायरी शेयर कर शहीदों को श्रद्धांजली दे रहे हैं।

1 शहीदों पर शायरी चढ़ गये जो हंसकर सूली, खाई जिन्होंने सीने पर गोली, हम उनको प्रणाम करते हैं। जो मिट गये देश पर, हम सब उनको सलाम करते हैं..

2. शहीदों पर शायरी वो ज़िन्दगी क्या जिसमे देश भक्ति ना हो, और वो मौत क्या जो तिरंगे में ना लिपटी हो..

3. शहीदों पर शायरी नींद उड़ गयी यह सोच कर, हमने क्या किया देश के लिए, आज फिर सरहद पर बहा हैं खून मेरी नींद के लिए..

4. शहीदों पर शायरी कभी ठंड में ठिठुर कर देख लेना, कभी तपती धूप में जल के देख लेना, कैसे होती हैं हिफ़ाजत मुल्क की, कभी सरहद पर चल के देख लेना..

यह भी पढ़ें: पुलवामा शहीदों को राहुल समेत कांग्रेस नेताओं ने किया नमन, कहा- देश आपका ऋणी

5. शहीदों पर शायरी हल की नोंकें जिस धरती की मोती से मांगें भरतीं उच्च हिमालय के शिखरों पर जिसकी ऊंची ध्वजा फहरती बैरागी