कर्नाटक में जो हुआ सो हुआ, यूपी में तो बन गई ट्रिपल इंजन की सरकार, योगी ने साधे सभी समीकरण

कर्नाटक चुनाव नतीजों को लेकर चर्चा हर ओर है। कर्नाटक में भाजपा को जबरदस्त झटका लगा है। हालांकि, देश के सबसे बड़े राज्य उत्तर प्रदेश से पार्टी के लिए खुशखबरी आई है। यह खुशखबरी भाजपा के फायर ब्रांड नेता और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में पार्टी को मिली है। दरअसल, उत्तर प्रदेश में निकाय चुनाव हुए थे। इन निकाय चुनाव के नतीजे भी आज ही घोषित किए जा रहे हैं। उत्तर प्रदेश में मेयर के चुनाव में भाजपा ने जबरदस्त सफलता हासिल की है। मेयर के चुनाव में भाजपा ने सभी 17 सीटों पर कब्जा जमा लिया है। सपा-बसपा-कांग्रेस और अन्य को कुछ भी सफलता नहीं मिल पाई है। हालांकि, कुछ जगहों पर बसपा उम्मीदवार में चुनाव में भाजपा को टक्कर देते दिखाई दिए।

मेयर चुनाव को लेकर भाजपा ने उत्तर प्रदेश में अपनी पूरी ताकत लगा दी थी। योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में लगातार चुनाव प्रचार हो रहे थे। उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य और बृजेश पाठक को भी ड्यूटी पर लगाया गया था। साथ ही साथ सभी मंत्री भी दमखम के साथ चुनावी मैदान में थे। भाजपा की ओर से जबरदस्त प्रचार भी किया गया था। योगी आदित्यनाथ लगातार कई जिलों के दौरे कर रहे थे। दूसरी ओर अखिलेश यादव कुछ चुनिंदा सीटों पर ही प्रचार करने पहुंचे जबकि मायावती और प्रियंका गांधी पूरी तरीके से नदारद रही। उत्तर प्रदेश नगर पंचायत अध्यक्ष के चुनाव में भी भाजपा को जबरदस्त सफलता मिली है। भाजपा भी यहां प्रचंड जीत हासिल करने में कामयाब हुई है। समाजवादी पार्टी और बसपा का हाल यह है कि उन्हें 100 से भी कम सफलता मिल पाई है।

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उत्तर प्रदेश नगर पालिका चुनाव में भाजपा ने जबरदस्त जीत हासिल की है। 199 सीटों में से पार्टी के पक्ष में 99 सीट गए हैं। बाकी के 100 सीटों में सपा बसपा कांग्रेस और अन्य के खाते में गए हैं। खास बात यह भी है कि नगर पालिका अध्यक्ष की चुनाव में भाजपा के बाद दूसरे नंबर पर निर्दलीय हैं। उत्तर प्रदेश में भाजपा की सफलता का राज योगी आदित्यनाथ की लोकप्रियता है। साथ ही साथ भाजपा ने जिस तरीके से लोगों के बीच जाकर प्रचार किया, उसका भी पार्टी को फायदा मिला है। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ चुनाव प्रचार के दौरान लगातार अपने शासन में मजबूत हुई। कानून व्यवस्था का जिक्र कर रहे थे। निकाय चुनाव में भाजपा के प्रतिष्ठा भी दांव पर थी क्योंकि शहरी इलाके हमेशा पार्टी के घर रहे हैं। लेकिन नगर पालिका और नगर पंचायत में पार्टी को पहले बड़े झटके लगते रहे। लेकिन इस बार पार्टी ने हर तरफ अपना परचम लहराया है।