पर्वतीय क्षेत्रों में गोवंश की सुरक्षा की पूरी कार्य जिम्मेदारी अब युवा-महिलाएं संभालेंगी। निराश्रित गोवंश के लिए गोशाला, कांजी हाउस बनाने और संचालन को लेकर लोक निर्माण, पंचायती राज, शहरी विकास व पशुपालन विभाग की संयुक्त बैठक में यह आदेश जारी किया गया है।
बता में, इस बैठक में यह तय हुआ कि नए NGO का सत्यापन (verification) होने के बाद ही उन्हें पर्वतीय क्षेत्रों में गोसदनों की स्थापना व कार्य संचालन की जिम्मेदारी सौंपी जाएगी। जिसमें महिला व अन्य युवा महिलाओं स्वयं सहायता समूहों का शामिल होना तय किया जाएगा। पहले से चल रहे गोसदनों में स्थान होने पर पशुपालन, शहरी विकास, पंचायती राज विभाग आपसी समन्वय से अभियान चलाकर एक महीने में सभी निराश्रित गोवंश को यहां पहुंचाएंगे।
खटिमा में संचालित गोसदन में इसकी कार्रवाई सबसे पहले की जाएगी। निराश्रित गोवंश के लिए वनों के पास गोसदन के निर्माण किए जाएंगे और वन विभाग से संपर्क कर बाडा बनाया जाएगा। गोसदनों में पशु चिकित्सा अधिकारियों की रोस्टर वाइज ड्यूटी लगाई जाएगी। नए गोसदनों को निर्मित करने के लिए बजट जिलास्तर पर जिलाधिकारी देंगे।
हर जानकारी वॉट्सएप ग्रुप में करना पड़ेगा अपडेट
गोसदनों के निर्माण और संचालन की प्रतिदिन प्रगति रिपोर्ट वॉट्सएप ग्रुप में अपडेट करना होगा। मॉनिटरिंग के लिए सभी गोसदन में रिमोट सेंसिंग कैमरे लगाने होंगे। जो भी गोवंश इन गोसदनों में लाया जाएगा, उनकी तस्वीर वॉट्सएप ग्रुप में साझा करनी होगी। इनके कार्य संचालन को पशुपालन, शहरी विकास व पंचायती राज विभाग के विभागाध्यक्ष नोडल अधिकारी नामित होंगे। मिशन मोड में गोसदनों का संचालन होगा। जिलाधिकारी अपने क्षेत्र के विधायकों से गोशाला की जमीन व निधि के लिए अनुरोध करेंगे।