पांचवे चरण में पार्टियों का प्रयोग, चुनाव में दिखेगी गजब की सोशल इंजीनियरिंग

नई दिल्ली: उत्तर प्रदेश विधान सभा चुनाव के पांचवें चरण का मतदान 27 फरवरी को होना है. 27 फरवरी को यूपी की 61 विधान सभा सीटों पर वोटिंग होगी. अब तक यूपी में 4 चरण में 45 जिलों की 231 विधान सभा सीटों पर मतदान हो चुका है. आने वाले 3 फेज में 30 जिलों की 172 सीटों पर मतदान शेष है.

27 फरवरी को पांचवे चरण का मतदान

27 फरवरी को यूपी के 11 जिलों की 61 विधान सभा सीटों पर वोटिंग है. अयोध्या, गोंडा, बहराइच, बाराबंकी, श्रावस्ती, अमेठी, सुल्तानपुर, कौशांबी, प्रयागराज, प्रतापगढ़ और चित्रकूट में मतदान है. अवध के 10 जिले और बुंदेलखंड के 1 जिले में मतदाता नेताओं के भविष्य का फैसला करेंगे. पांचवें चरण की 61 सीटों पर OBC-दलित, ब्राह्मण और मुस्लिम वोट बैंक का दबदबा माना जाता है. बीजेपी और सपा दोनों ने इस फेज के लिए खास सोशल इंजीनियरिंग भी की है.

 

भाजपा की है ऐसी प्लानिंग

पांचवे चरण में बीजेपी 52 सीटों पर चुनाव लड़ रही है और 9 सीटों पर बीजेपी के सहयोगी दल चुनावी मैदान में हैं. 9 में से 8 सीटों पर अपना दल (S) और 1 सीट पर निषाद पार्टी चुनाव लड़ रही है. बीजेपी गठबंधन ने सबसे ज्यादा ब्राह्मण उम्मीदवार इसी फेज में उतारे हैं. भाजपा की ओर से 61 में से 17 सीटों पर ब्राह्मण प्रत्याशी मैदान में हैं. जबकि 15 OBC, 13 दलित, 12 ठाकुर और 4 बनिया/कायस्थ चेहरों को टिकट दिया गया है.

 

सपा ने गैर यादव उम्मीदवारों पर किया प्रयोग

वहीं पांचवे चरण में समाजवादी पार्टी 59 सीटों पर चुनाव लड़ रही है. एक सीट पर सपा की सहयोगी पार्टी अपना दल (कमेरावादी) चुनाव लड़ रही है और 1 सीट पर कांग्रेस के खिलाफ सपा ने कोई प्रत्याशी नहीं उतारा है. समाजवादी पार्टी ने सबसे ज्यादा टिकट OBC समाज को दिया है. सपा ने इस फेज में भी यादव टिकट कम किए हैं और गैर यादव ओबीसी टिकट ज्यादा दिए हैं. सपा गठबंधन ने 21 OBC, 13 दलित, 9 मुस्लिम, 7 ब्राह्मण, 7 ठाकुर, 2 बनिया/कायस्थ और 1 भूमिहार नेता को टिकट दिया है.

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पांचवे चरण का सियासी रंग

पांचवे चरण के चुनाव में राजनीति का हर सियासी रंग दिखाई पड़ेगा. यहां आपको ग्लैमर का तड़का भी मिलेगा, डॉन-माफियाओं की सियासी हनक भी दिखेगी. यहां दिग्गजों की प्रतिष्ठा भी दांव पर है तो सियासी परिवारों की अग्निपरीक्षा भी इसी चरण में होनी है. यहां संगम नगरी प्रयागराज है तो रामनगरी अयोध्या भी है. यहां सोशल इंजीनियरिंग की प्रयोगशाला भी दिखेगी तो जिगरी दोस्तों की सियासी दुश्मनी भी नजर आएगी. कई सीटों पर यहां विरासत को बचाने की भी जंग है. यानी अगर आपको सियासत की ABCD समझनी है तो यूपी के पांचवें चरण के रण पर जरूर ध्यान दीजिए.