लखनऊ में बकरीद पर कड़ी सुरक्षा व्यवस्था, ऐसे रखी जाएगी ईदगाहों पर रखी जाएगी नजर

कल यानी गुरुवार 29 जून को देशभर में बकरीद मनाई जाएगी. इस अवसर पर विशेषतौर पर उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में सुरक्षा की कड़ी व्यवस्था की गई है. लखनऊ में पीएसी की 12 कंपनियों को सुरक्षा में लगाया गया है. पीएसी की कंपनियों के साथ ही पुलिस अधिकारी भी सुरक्षा में तैनात रहेंगे.

लखनऊ सेंट्रल की डीसीपी अपर्णा कौशिक ने बताया कि पूरे राजधानी क्षेत्र में ईद के दिन कड़ी सुरक्षा व्यवस्था की जाएगी. उन्होंने जानकारी दी कि लखनऊ में कुल 94 ईदगाह और 1210 मस्जिदें हैं. डीसीपी सेंट्रल लखनऊ अपर्णा कौशिक ने इसके साथ ही जानकारी दी कि ईदगाहों पर सीसीटीवी और ड्रोन से नजर रखी जाएगी.

बकरीद से पहले पिछले कुछ दिनों से लखनऊ के बाजारों में बड़ी रौनक है. यहां की बकरा मंडी में खरीदारों की भारी भीड़ देखने को मिल रही है. बकरीद से पहले इन मंडियों में बकरे बेचने वाले और खरीददार दूर-दूर से आ रहे हैं. कल यानी गुरुवार 29 जून को बकरीद के इन इन बकरों की कुर्बानी दी जाएगी.

बकरा विक्रेताओं का कहना है कि कोरोना काल के बाद पहली बार बकरों की अच्छी बिक्री हो रही है. उनके मुताबिक इस बार बकरों के दाम भी अच्छे मिल रहे हैं, जबकि खरीददारों का मानना है कि इस बार बकरे महंगे मिल रहे हैं. इन बाजारों में बकरों की कीमत 12-15 हजार से लेकर 70-80 हजार रुपये तक है.

लखनऊ की बकरा मंडी में आए दुम्बे प्रजाति के बकरों की कीमत करीब 1 लाख रुपये तक है. लखनऊ में जॉगर्स पार्क के पास दुब्बग्गा मार्केट में एक खास प्रजाति का बकरा 8 लाख रुपये में बिकने के लिए आया है. सफेद रंग के इस बकरे की ऊंचाई 4 फीट है. जब यह अपने पिछले दो पैरों पर खड़ा होता है तो इसकी ऊंचाई 5 फीट तक हो जाती है. बकरे की उम्र 27 महीने बताई जा रही है. सुल्तानपुर से यहां बकरे को बेचने आए अशरफ हुसैन के अनुसार इसका वजन करीब 2 क्विंटल यानी 200 किलो है.

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8 लाख रुपये में बिकने आए इस बकरे के बारे में एक अन्य विक्रेता ने बताया कि यह खस्सी है और बीटल ब्रीड का बकरा है. जॉगर्स पार्क मार्केट में बिकने आया यह सबसे महंगा बकरा है. इस प्रजाति के बकरे भारत और पाकिस्तान के पंजाब क्षेत्र में पाए जाते हैं. इन बकरों को इनके दूध और मांस के लिए पाला जाता है. बीटल ब्रीड के बकरों को लाहौरी बकरा भी कहा जाता है. इन बकरों को गरीब की गाय भी कहा जाता है, क्योंकि यह कम भोजन पर भी जिंदा रहती है और परस्थितियों के अनुसार खुद को ढाल लेते हैं.