लखनऊ की ये महिला बनी लोगों के लिए मिसाल, हफ्ते भर पहले खोया था अपना दोस्त

कोविड-19 के बढते मामलों के बीच एक तरफ जहां मरीजों को अस्पताल में बेड और एंबुलेंस नहीं मिल पा रहा वहीं एक महिला ऐसी भी है जो कोविड-19 पीड़ितों के शवों को मुफ्त में श्मशान घाट-कब्रिस्तान ले जाती हैं। लखनऊ के राम मनोहर लोहिया अस्पताल के बाहर, पीपीई किट पहने एक महिला इन दिनों कोविड-19 पीड़ितों के शवों के लिए मुफ्त गाड़ी सेवा दे रही है। महिला का नाम वर्षा वर्मा है और वह लखनऊ की ही रहने वाली हैं।

वर्षा कहती हैं कि इन दिनों वो श्मशान घाट के कई चक्कर लगा चुकी है। कोविड-19 महामारी की दूसरी लहर के दौरान, जब लोग अपने और अपने परिवार की सुरक्षा के लिए इतने डरे हुए हैं ऐसे समय में वर्षा का आगे आकर जरूरतमंदों की मदद करना काबिले तारीफ है। वर्षा न केवल कोविड-19 पीड़ितों के शवों के लिए मुफ्त वाहन सेवा दे रही है, बल्कि मृतक के परिजनों को दाह संस्कार के लिए भी सहायता कर रही है।

कोविड के कारण खोया था दोस्त

पेशे से लेखक और जूडो खिलाड़ी वर्षा का कहना है कि पिछले हफ्ते ही उन्होंने कोविड के कारण अपने खास दोस्त को खो दिया था। उन्होंने बताया कि उनके दोस्त की मौत के बाद शरीर को श्मशान तक ले जाने के लिए उन्हें काफी देर तक कोई सवारी नहीं मिली। और जो सवारी मिल रही थी वो ज्यादा पैसे डिमांड कर रही थी। इस घटना के बाद से उन्होंने ठान लिया कि वो इस आपदा के समय में जरूरतमंद लोगों की मदद करेगी। वर्षा ने कहा कि उन्होंने कार किराए पर ली है ताकि वो अस्पताल के बाहर कोविड मरीजों के मृत शरीर को श्मशान तक पहुंचाने में मदद कर सके।

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वर्षा ने कहा कि बुधवार को यह मेरा पांचवा दिन है। मैंने एक और कार किराए पर ले ली है और एक ड्राइवर की व्यवस्था भी कर ली है। उन्होंने कहा कि इन दो वाहनों के साथ, वह उन लोगों की मदद करती हैं जो उन्हें फोन करते हैं। या फिर कई बार वह अस्पताल के सामने इंतजार करती है और जरूरतमंदों की मदद के लिए आगे आती है। वर्षा कहती हैं कि इन पांच दिनों में उन्होंने इतने चक्कर काट लिए हैं कि अब उन्हें श्मशान और अस्पतालों के बीच यात्राओं की संख्या याद नहीं।