छोटे-छोटे उद्योग लगाकर गांव को आर्थिक मजबूती दे रहीं समूह की महिलाएं

लखनऊयूपी के ग्रामीण इलाकों में रहने वाली महिलाएं दिन पर दिन सशक्त और मजबूत बनती जा रही है। उद्यम लगाकर खुद का विकास तो कर रही हैं साथ में अपने गांव को भी आर्थिक मजबूती प्रदान करने में जुटी हैं। राज्य सरकार के निर्देशों पर राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन की योजनाओं ने महिलाओं को छोटे-छोटे उद्योग-धंधे शुरु करने के लिये प्रोत्साहित करने का बड़ा काम किया है। इसमें स्टार्ट अप विलेज एंट्रेपरेनेउरशिप प्रोग्राम (एसवीईपी) वरदान साबित हुआ है।

एसवीईपी प्रोग्राम से अभी तक प्रदेश की 11454 महिलाएं लाभान्वित हो चुकी हैं। वे किराना की दुकानें, पावरलूम मशीनें, आटा दलिया पीसने की मशीनें लगाकर अपना परिवार चला रही हैं। उनके इस प्रयास से गांव भी आर्थिक रूप से मजबूत होते जा रहे हैं। गौरतलब है कि एसवीईपी का शुभारंभ यूपी में महिला समूहों को मजबूती देना। उनको ग्रामीण उद्यम शुरु करने में मदद प्रदान करना। गांव में आर्थिक विकास को गति प्रदान करना और गरीबी व बेरोजगारी को दूर करना है। वित्तीय वर्ष 2020-21 में अम्बेडकरनगर के अकबरपुर ब्लाक, बस्ती के बनकटी ब्लाक, गोरखपुर के पिपराइच ब्लाक और वाराणसी के सेवापुरी ब्लाक की महिलाओं को इस योजना से लाभान्वित किया गया है। इससे पहले 2019-20 में 09 जनपदों के ब्लाकों में इस योजना से समूह की महिलाएं लाभान्वित हुई हैं। 2017 से लेकर आज तक 19 जनपदों के 19 ब्लाकों में छोटे उद्योग और उद्यमों को स्थापित करने में महिला समूहों की मदद की जा चुकी है।
 
एकल और सामुदायिक उद्यम लगाने के लिए दी जा रही आर्थिक मदद
 
स्टार्ट अप विलेज एंट्रेपरेनेउरशिप प्रोग्राम (एसवीईपी) के तहत समूह की महिलाओं को दो तरह के उद्यम स्थापित करने में मदद की जाती है। इनमें एकल उद्योग और सामुदायिक उद्योग शामिल हैं। एकल उद्योग स्थापित करने के लिये समूह की महिलाओं को 10 हजार से 01 लाख रुपये तक का लोन दिया जाता है। जबकि सामुदायिक उद्योग स्थापित करने के लिये समूह की महिला को 01 लाख से 05 लाख रुपये तक का लोन दिया जा रहा है। इन उद्योगों में 60 प्रतिशत कार्य महिलाओं द्वारा और 40 प्रतिशत कार्य पुरुषों द्वारा किया जा रहा है। यह सभी पुरुष भी समूह की महिलाओं के संबंधी हैं। इनके द्वारा मैन्युफैक्चरिंग, ट्रेडिंग और सर्विस सेक्टर का कार्य भी किया जा रहा है।