दंगाइयों ने जेवर और अनाज लूटा, घरों में आग लगाकर चले गए; खुलकर सामने आया हिंदू परिवारों का दर्द

रामनवमी की शोभायात्र के दौरान मध्य प्रदेश के खरगोन शहर में भड़की हिंसा कई परिवारों के लिए जीवनभर का दर्द दे गई। शहर के सात क्षेत्रों में दंगाइयों ने हिंदू परिवारों पर कहर बरपाया। पेट्रोल बम फेंककर घरों को फूंक दिया गया। कहीं जेवर लूटे, तो कहीं से अनाज लूटकर ले गए। दंगाइयों की दहशत से प्रभावित इलाकों के 35 हिंदू परिवार घर छोड़कर जा चुके हैं। छह दिन बाद स्थिति अब भी ऐसी है कि कोई घर लौटना नहीं चाहता। दंगे में 75 से ज्यादा मकानों में तोड़फोड़ व आगजनी हुई। किसी बेटी की शादी की खुशियां लुट गईं तो किसी परिवार की रोजी का सहारा रिक्शा ही जला दिया गया। कई लोगों के पास तो अब कपड़े, अनाज तक नहीं बचे हैं।

शहर के संजय नगर, काजीपुरा, भाटवाड़ी मोहल्ला, भावसार मोहल्ला, जमींदार मोहल्ला और आनंद नगर में दंगे की कई दारण कहानियां बिखरी पड़ी हैं। दैनिक जागरण के सहयोगी प्रकाशन ‘नईदुनिया’ की टीम ने प्रभावित क्षेत्रों का जायजा लिया। दंगे से मिला लोगों का दर्द राख बन चुके घरों को देखकर बढ़ जाता है। संजय नगर में मुस्लिमों की पट्टी में निशा चांदने का मकान था, जो अब मलबे में बदल चुका है। उन्मादी भीड़ ने निशा के घर जलता हुआ सिलेंडर फेंककर विस्फोट कर दिया था। घर का नामोनिशान नहीं बचा। शनिवार को काजीपुरा में 75 वर्षीय उमराव सिंह अपनी पत्नी के साथ ठेले पर गृहस्थी का सामान बांधते दिखाई दिए। उन्हें एक रिश्तेदार ने शरण दी है। उमराव कहते हैं कि दंगे तो पहले भी देखे और झेले, लेकिन इस बार हिम्मत जवाब दे गई। पहले तो सिर्फ पत्थर बरसाते थे, लेकिन इस बार तो लूटपाट कर घरों में आग लगा गए। मुस्लिम हमें यहां रहने नहीं देना चाहते हैं।

दंगाई लूट ले गए शादी का सामान

संजय नगर की लक्ष्मी मुछाल की शादी 14 अप्रैल को थी। 11 अप्रैल को उसे हल्दी लगनी थी। एक दिन पहले दंगाइयों ने घर लूट लिया। लक्ष्मी के भाई सतीश और बहन अनिता मुछाल बताते हैं कि उपहार का सामान, कपड़े और राशन सब लूटकर चले गए, केवल भगवान की मूर्ति और फोटो ही छोड़ गए हैं। शादी टाल दी। पास में ही सतीश और आशा पंवार का घर भी जला दिया गया। जिस दोपहिया से बेटी लक्ष्मी कालेज जाती थी, वह भी घर से निकाली और फूंक दी। यह इलाका मुस्लिम बस्ती से लगा हुआ है। दंगे की आग ठंडी होने के बाद भी हिंदू परिवार अब यहां रहना नहीं चाहते।

भागने में 10 मिनट भी देरी होती तो मार ही डालते

काजीपुरा के मनोहर सोलंकी का घर भी दंगाइयों ने फूंक दिया। अस्पताल में नौकरी करने वाले मनोहर बताते हैं, दो दिन पहले ही वेतन के रुपये निकालकर लाया था, वह भी जला दिए। पत्नी विमला बताती हैं कि दंगाइयों ने सब्बल से दरवाजा तोड़ा और घर में घुस गए। निकलने में 10 मिनट की देर भी करते तो मार ही डालते।

घर पर लिख दिया ‘मकान बिकाऊ है’

सात साल में खरगोन में तीन बार दंगे हो चुके हैं। हर दंगे के बाद मुस्लिम इलाकों से सटे हिंदू मोहल्लों में कुछ प्रभावित परिवार घर बेचकर चले जाते हैं। ज्यादातर घर मुस्लिम ही खरीदते हैं। मोहल्ले का मालवीय परिवार दंगे से इतना डर गया है कि उसने घर के बाहर लिख दिया है कि मकान बिकाऊ है। काजल मालवीय कहती हैं, मेरी और भाई की सुरक्षा के लिए पापा हमें यहां नहीं रहने देना चाहते।

गिरिराज सिंह का दावा- करौली जैसी हिंसा की ‘स्क्रिप्ट’ कहीं और लिखी जा रही है

दरवाजे पर करंट वाला तार लगाकर जाते हैं पति

संजय नगर की अन्नपूर्णा भावसार कहती हैं कि घर के पीछे मुस्लिम बस्ती है। दंगे में पीछे का दरवाजा तोड़ने की कोशिश की। अब पति नौकरी पर जाते समय पीछे के दरवाजे पर बिजली के तार से करंट छोड़कर जाते हैं।