इस तारीख को लगने वाला है इस साल का आखिरी सूर्य ग्रहण, जाने समय और वार

दिसंबर 2020 के महीने में सूर्य ग्रहण लगने वाला है। यह इस साल का दूसरा और आखिरी सूर्य ग्रहण होगा। इस साल कुछ 6 ग्रहणों का संयोग है। इनमें दो सूर्य ग्रहण और चार चंद्र ग्रहण हैं। अभी तक कुल 5 ग्रहण हो चुके हैं। पिछला सूर्य ग्रहण 21 जून, रविवार को लगा था जो खंडग्रास था और उसे देश के कई शहरों में देखा गया था। यह साल आकाशीय, खगोलीय घटनाओं से भरपूर रहा है। इस साल सूर्य ग्रहण, चंद्र ग्रहण के अलावा कई बार एस्‍टेरॉयड के आने की घटनाएं हुईं। दुर्लभ धूमकेतु भी दिखाई दिया था और इसी साल आकाश में एक ही सीध में कई ग्रह एक साथ आए थे। ब्‍लू मून जैसी दुर्लभ घटना भी इस साल देखने को मिली। कल 30 नवंबर को चौथा चंद्र ग्रहण पूरा हुआ अब इस साल का आखिरी ग्रहण सूर्य ग्रहण के रूप में आने वाला है। जानिये इस ग्रहण से जुड़ी सारी बातें।

यह है सूर्य ग्रहण की तारीख, समय और वार

यह ग्रहण 14 दिसंबर, रविवार को लगेगा। भारतीय समयानुसार इस ग्रहण का समय शाम 7 बजकर 3 मिनट से आरंभ होगा और इसकी समाप्ति मध्‍यरात्रि में यानी 15 दिसंबर की रात 12 बजकर 23 मिनट पर होगी। इस ग्रहण की कुल अवधि 5 घंटे की रहेगी। तिथि अनुसार यह ग्रहण अगहन कृष्‍ण अमावस्‍या को घटित होगा। यह खंडग्रास प्रकार का ग्रहण होगा एवं यह भारत में दिखाई नहीं देगा इसलिए इसकी धार्मिक एवं ज्‍योतिष मान्‍यता नहीं है।

जानिये कहां दिखाई देगा यह सूर्य ग्रहण

वर्ष के आखिरी सूर्य ग्रहण को भारत में नहीं देखा जा सकेगा। इसका समय विदेशों के लिए है। इस ग्रहण को दक्षिण अफ्रीका, प्रशांत महासागर सहित दक्षिण अमेरिका एवं मैक्सिको के कुछ इलाकों में देखा जा सकेगा। इसके अलावा यह सऊदी अरब, कतर, सुमात्रा, मलेशिया, ओमान, सिंगापुर, नॉर्थन मरिना आईलैंड, श्रीलंका और बोर्नियो में भी दिखाई देगा।चूंकि यह ग्रहण भारत में नज़र नहीं आएगा इसलिए गत चंद्र ग्रहण की तरह इस सूर्य ग्रहण का भी कोई सूतक काल नहीं होगा एवं इसका यहां कोई प्रभाव नहीं होगा।

ग्रहण काल में नहीं किए जाते हैं ये काम

ग्रहण का सूतक भले ही भारत में मान्‍य ना हो लेकिन ग्रहण का प्रभाव समूची सृष्टि पर एक साथ पड़ता है इसलिए ग्रहण काल के दौरान कुछ चीजों की मनाही है। ग्रहण काल में भोजन करना, कुछ पीना, तेज आवाज से बोलना, शुभ कार्य, मांगलिक कार्य आदि नहीं किए जाते हैं। इस अवधि में गर्भवती महिलाओं को भी घर से बाहर नहीं निकलना चाहिये। ऐसा करने पर गर्भस्‍थ शिशु पर बुरा असर पड़ सकता है। धार्मिक दृष्टि के अनुसार इस दौरान नकार शक्तियां जाग्रत होती हैं एवं वैज्ञानिक दृष्टि से इस समय सूर्य से निकलने वाला रेडिऐशन बहुत घातक होता है। इसलिए दोनों दृष्टियों के अनुसार ग्रहण काल में बाहर जाना बाधित है।

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ग्रहण के दौरान और बाद में यह करना चाहिये

ग्रहण की अवधि के समय खाने पीने की वस्‍तुओं में तुलसी के पत्‍तों को रख देना चाहिये। ग्रहण के समय स्‍नान ना करें लेकिन समाप्‍त होने पर अवश्‍य स्‍नान करना चाहिये। इससे शुद्धिकरण हो जाता है। चूंकि इस समय प्रकृति बहुत संवेदनशील होती है, इसलिए हर बात का ध्‍यान रखना जरूरी हो जाता है। जहां तक सूतक की बात है, यह सूर्य ग्रहण और चंद्र ग्रहण दोनों के समय लगता है। बस घटना के समय भौगोलिकता को देखकर इसका समय तय किया जाता है। इस बार भारत में यह ग्रहण नहीं देखा जाएगा इसलिए यहां इसका सूतक नहीं लग रहा है। ग्रहण के पहले मंदिरों के पट बंद कर दिए जाते हैं और ग्रहण खत्‍म होने पर शुद्धिकरण के बाद खोले जाते हैं।