जिस जज ने दिया हिजाब पर फैसला, उनको मौत की धमकी: वीडियो में कहा – ‘तुम्हारा वजूद नहीं बचेगा… साधु नंगे तो बुर्का क्यों नहीं’

कर्नाटक हाईकोर्ट के न्यायाधीश को एक इस्लामी संगठन द्वारा मौत की धमकी दी गई है। ये वही जज हैं, जिन्होंने बुर्का विवाद में दायर याचिका के फैसले में हिजाब को इस्लाम का जरूरी हिस्सा नहीं बताया था। यह धमकी तमिलनाडु तौहीद जमात (TMTJ) नाम के संगठन ने मदुरै में एक आयोजन के दौरान 17 मार्च (गुरुवार) को दी। धमकी देने वाले आरोपित का नाम कोवाई आर रहमतुल्लाह बताया जा रहा है। इस वीडियो को इंदु मक्क्ल ने शेयर किया है।

वीडियो में रहमतुल्लाह को धमकी देते सुना गया, “अगर हिजाब मामले में जज की हत्या हो जाती है तो वो अपनी मौत के खुद जिम्मेदार होंगे। न्यायपालिका भाजपा के हाथों बिक चुकी है। अदालत का आदेश अवैध और गैरकानूनी है। कर्नाटक हाईकोर्ट ने ये आदेश अमित शाह के इशारे पर दिया है। फैसला देने वाले जज को अपने फैसले पर शर्म आनी चाहिए। जजों के फैसले संविधान के आधार पर होने चाहिए न कि उनके व्यक्तिगत सोच पर।”

इंदु मक्क्ल ने इसी ट्वीट में तमिलनाडु पुलिस को टैग करते हुए सवाल किया है कि क्या वो अभी भी बैठ कर सिर्फ तमाशा देखेंगे? जबकि विश्वात्मा (@HLKodo) नाम के एक ट्विटर हैंडल ने इस वीडियो में बच्चों द्वारा नारेबाजी पर ध्यान दिलाया है। वीडियो में कई महिलाएँ भी नारेबाजी करती हुई दिखाई दे रही हैं।

इस धमकी का पूरा 17 मिनट 40 सेकेंड का वीडियो यूट्यूब पर ‘ऑनलाइन धावा 24X7’ नाम के चैनल ने पब्लिश किया है। इसमें धमकी देने वाले रहमतुल्लाह को कहते सुना जा सकता है, “साधु भारत में कहीं भी नंगे घूम सकते हैं लेकिन मुस्लिम लड़कियों को बुर्का पहनने से मना किया जा रहा है। अगर आप मुस्लिमों पर हमला करोगे तो हम मैदान में मिलेंगे। हम मोदी, योगी या अमित शाह से नहीं बल्कि सिर्फ अल्लाह से डरते हैं। हमारे सब्र का इम्तिहान मत लो। अगर ये धैर्य खत्म हुआ तो तुम्हारा वजूद नहीं बचेगा।”

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बुर्का विवाद और कर्नाटक हाईकोर्ट का फैसला

पिछले महीने कर्नाटक के उडुपी के PU कॉलेज में कुछ मुस्लिम छात्राओं को कॉलेज परिसर में बुर्का पहन कर आने से मना कर दिया गया था। यह रोक कॉलेज प्रशासन ने लगाया थी। इसके बावजूद कुछ छात्राएँ दिसम्बर 2021 से बुर्के में आने लगीं। इसके बाद लगातार हिजाब के समर्थन में धरने-प्रदर्शन शुरू हो गए थे। प्रदर्शन के दौरान छात्राओं ने बुर्का पहना हुआ था। इस फैसले के खिलाफ हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की गई थी।

बुर्का विवाद शुरू करने वाली छात्राओं के पीछे इस्लामी समूह PFI (पॉपुलर फ्रंट ऑफ़ इंडिया) की छात्र शाखा CFI का हाथ बताया गया था। हाईकोर्ट में बुर्का समर्थक छात्राओं की तरफ से बहस करने वाले वकीलों ने भी बुर्के को इस्लाम का जरूरी हिस्सा बताया था। आखिरकार 15 मार्च (मंगलवार) को कर्नाटक हाईकोर्ट ने भी बुर्के को इस्लाम का जरूरी हिस्सा मानने से इंकार कर दिया। इस फैसले के खिलाफ कई लिबरल और वामपंथी ट्विटर पर अभियान चला रहे हैं।