आरक्षण घोषित होते ही नेताओं के गड़बड़ाए समीकरण, कारिंदों पर लगा रहे दांव

मीरजापुर, 03 मार्च। त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव की घोषणा होते ही कई गांवों के समीकरण बदल गए हैं। इसे लेकर गांवों व चट्टी-चौराहों पर नए सिरे से चर्चाओं का बाजार गर्म हो गया है। नए समीकरण से सबसे ज्यादा खुशी उन ग्राम पंचायत, क्षेत्र पंचायत, जिला पंचायत वार्ड के लोगों में है, जो 1995 के बाद आरक्षण की श्रेणी में नहीं आए थे।

विकास खंड जमालपुर में कुल 99 ग्राम पंचायत, 120 क्षेत्र पंचायत सदस्य व पांच जिला पंचायत सदस्यों वाली सीट पर इलाके के राजनीतिक रसूखदारों की नजर पहले से लगी थी। इसके दावेदारों की पूरी तैयारी चल रही थी। ज्यादातर दावेदारों की निगाहें अपनी मनमुताबिक सीट अनारक्षित व पिछड़े वर्गों के लिए आरक्षित सीटों पर लगी थी, लेकिन उन्हें तब झटका लगा जब आरक्षण की घोषणा में उनकी सीट एससी घोषित हो गई। अब ऐसे दावेदार ग्राम पंचायत के 14 सीटों पर क्षेत्र पंचायत सदस्य के कुल 18 सीटों व जिला पंचायत के तीन सीटों पर अपने कारिंदों के सहारे राजनीतिक दांव पेंच लगाना शुरू कर दिए हैं।

आरक्षण घोषित होते ही नेताओं के गड़बड़ाए समीकरण

जमालपुर विकास खंड पिछड़ा बाहुल्य इलाके के रूप में जाना जाता है। राजनीतिक समीकरणों पर गौर करें तो यहां पिछड़े वर्ग के लोगों का बोलबाला रहा है। पंचायत चुनाव में दावा ठोकने वाले सम्भावित दावेदारों को करारा झटका लगा है। उन्हें पूरी उम्मीद थी कि उनके मन मुताबिक उनके ग्राम पंचायत, क्षेत्र पंचायत एवं जिला पंचायत वार्ड का आरक्षण आएगा। इतना ही नहीं दावेदार अपने पक्ष में आरक्षण के लिए शाम, दाम, दण्ड  व भेद की चाल भी चल रहे थे, जिसपर पानी फिर गया है।

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जिला पंचायत अध्यक्ष के सीट का आरक्षण की घोषणा सुरक्षित कोटे के लिए पहले से हो जाने के बाद दावेदार वार्ड के आरक्षण को लेकर परेशान नजर आ रहे थे। यहां भी उनको करारा झटका लगा है। हालात यह है कि सत्ता पक्ष की भारतीय जनता पार्टी, सपा, बसपा, कांग्रेस के प्रदेश स्तर के नेता आरक्षण की घोषणा होते ही धडाम से गिरे हैं। जो त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव में दावा ठोकने के लिए वेताब थे, वे अब रातोंरात पाला बदल दिए हैं। जिन लोगों ने आरक्षण की घोषणा होने से पूर्व अपनी मनचाहे सीटों पर बैनर पोस्टर होर्डिंग लगाए थे। अब वे पोस्टर और बैनर बिजली के पोलों व सार्वजनिक दिवारों पर लोगों को मुंह चिढ़ा रहे हैं।