सुप्रीम कोर्ट पहुंचा बंगाल चुनाव का रक्तरंजित परिणाम, खतरे में सीएम ममता की कुर्सी

पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव का रक्तरंजित परिणाम अब सुप्रीम कोर्ट के दर पहुंच गया है। दरअसल, बीते दो दिनों में बंगाल में हुई हिंसक घटनाओं को लेकर सुप्रीम कोर्ट में दो याचिकाएं दायर की गई है। एक याचिकाकर्ता ने सुप्रीम कोर्ट ने घटना की सीबीआई जांच कराने की मांग की है, जबकि दूसरी याचिका में तृणमूल कांग्रेस की मुखिया ममता बनर्जी की उस कुर्सी पर निशाना साधा गया है, जिसपर अभी वह बैठी भी नहीं हैं। दरअसल, इस याचिका में बंगाल में तुरंत राष्ट्रपति शासन लगाने की मांग की गई है।

सुप्रीम कोर्ट में दायर हुई दो याचिकाएं

मिली जानकारी के अनुसार, सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका बीजेपी प्रवक्ता और सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ वकील गौरव भाटिया ने दाखिल की। उन्होंने अपनी याचिका में उस अभिजीत सरकार का जिक्र किया है जिसकी फेसबुक में वीडियो अपलोड करने के तुरंत बाद हत्या कर दी गई थी। इसके साथ ही उन्होंने अन्य लोगों का भी उदाहरण दिया है। अपनी याचिका में गौरव भाटिया ने तृणमूल कांग्रेस पर हिंसा का आरोप लगाते हुए मांग की है कि सुप्रीम कोर्ट राज्य सरकार से रिपोर्ट मांगे। साथ ही इन घटनाओं पर हुई कार्रवाई की भी जानकारी मांगे। बीजेपी प्रवक्ता ने बंगाल में हुई हिंसा की घटनाओं की सीबीआई जांच की भी मांग की है।

वहीं, सुप्रीम कोर्ट में दूसरी याचिका सामाजिक संस्था कलेक्टिव इंडिक कलेक्टिव ने वकील जे साईं दीपक और सुविदत्त के जरिए याचिका दाखिल की है। इस याचिका में पश्चिम बंगाल की स्थिति को नियंत्रण से बाहर बताया गया है। कहा गया है कि सत्ताधारी पार्टी के नेता ही हिंसा को बढ़ावा दे रहे हैं। वहां लोगों की जान जा रही है। महिलाओं का यौन उत्पीड़न हो रहा है। यह संविधान के अनुच्छेद 356 के तहत राज्य में राष्ट्रपति शासन लगाने के लिए बिल्कुल उचित मामला है।

इस याचिका में यह भी कहा गया है कि पश्चिम बंगाल में तुरंत केंद्रीय अर्धसैनिक बलों को नियुक्त किया जाए और उन्हें स्थिति पर नियंत्रण के लिए कहा जाए। सुप्रीम कोर्ट के रिटायर्ड जज के नेतृत्व में एक विशेष जांच दल का गठन हो जो कि हिंसा में राजनीतिक नेताओं की भूमिका की जांच करे। हिंसा कर रहे लोगों की तुरंत गिरफ्तारी हो और उनके ऊपर विशेष अदालत में मुकदमा चलाया जाए।

अभी यह दोनों याचिकाएं सिर्फ दाखिल हुई हैं। इन पर सुनवाई की तारीख तय नहीं हुई है। लेकिन मामले से जुड़े वकील कह रहे हैं कि इस मामले में लोगों की जीवन के अधिकार की रक्षा करने के लिए तुरंत दखल की ज़रूरत है। इसलिए वह कल यानी बुधवार को ही सुनवाई के लिए चीफ जस्टिस से आग्रह करेंगे।