एंटीलिया कांड: परमबीर सिंह के खास अधिकारी ने बड़ा खुलासा, एनआईए ने खोली काले कारनामे की पोल

देश के बहुचर्चित एंटीलिया कांड और मनसुख हत्याकांड मामले की जांच कर रही एनआईए ने बड़ा खुलासा किया है। दरअसल, एनआई की रिपोर्ट से मुंबई के पूर्व पुलिस कमिश्नर परमबीर सिंह के बड़े काले कारनामे की पोल खुल गई है। दरअसल, इस मामले की जांच कर रही एनआईए द्वारा दायर की गई याचिका में जिस साइबर एक्सपर्ट का जिक्र किया गया था। उसी बात की जांच करने के लिए एनआईए ने इस बार परमबीर सिंह के बेहद करीबी अधिकारी का बयान दर्ज किया है।

परमबीर सिंह पर लगे आरोप की सच्चाई

दरअसल, एनआईए ने अपनी याचिका में बताया था कि परमबीर सिंह ने आतंकी संघटन जैश उल हिंद से जुडी रिपोर्ट को मोडिफाई करने के लिए एक साइबर एक्सपर्ट को पांच लाख रूपये दिए थे। अब इस बात को पुख्ता करने के लिए एनआईए ने परमबीर सिंह के ख़ास ऐसे अधिकारी से पूछताछ की है जो पिछले 10 वर्षों से परमबीर सिंह के साथ ही कार्यरत था, अधिकारी ने इस बात को सारांश से बताते हुए परमबीर सिंह पर लगे आरोप पर मुहर लगा दी है।

अधिकारी ने एनआईए को अपने बयान में बताया कि वो परमबीर सिंह के ऑफिस के कामों के अलावा निजी जीवन, उनकी निजी फाइलें और परिवार के सदस्यों को देखा करता था। एनआईए ने इस अधिकारी से सवाल किया कि क्या साइबर एक्सपर्ट सीपी ऑफिस आया था, कहां उसे जैश उल हिंद की पुरानी रिपोर्ट के साथ छेड़छाड़ करने के लिए 5 लाख रुपए दिए गए थे। जिसपर अधिकारी ने एनआईए को बताया कि तीन मार्च को सीपी के चैंबर में एक शख्स लैपटॉप के साथ बैठा हुआ था, इस समय मुझे उसके बारे में नहीं पता था लेकिन बाद में पता चला कि वो साइबर एक्सपर्ट है और करीब पांच बजे मुझे सिंह ने अंदर बुलाया। मुझे उस साइबर एक्सपर्ट को तीन लाख रुपए देने को कहा। उसी दौरान उन्होंने एक्सपर्ट से पूछा कि इतने पैसे पर्याप्त हैं या और दूं। इसपर साइबर एक्सपर्ट में जब जवाब नहीं दिया तब परमबीर सिंह ने मुझे उस तीन लाख में दो लाख और जोड़कर पांच लाख रुपए साइबर एक्सपर्ट को देने के लिए कहा। जिसके बाद मैं सीक्रेट सर्विस फंड से 5 लाख रुपए निकालकर साइबर एक्सपर्ट को दिया।

एनआईए ने इस अधिकारी का दो बार बयान दर्ज किया जिसने से पहला बयान 24 अप्रैल 2021 को लिया गया था तो दूसरा बयान 13 अगस्त 2021 को लिया गया था। दूसरी बार बयान लेते समय एनआईए को सिंह का दो ईमेल आईडी मिला, उस समय एनआईए ने इस अधिकारी से परमबीर के लोकेशन के बारे में पूछा जिसपर उसने कहा कि उसकी जानकारी के मुताबिक परमबीर चंडीगढ़ में होंगे।

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अधिकारी ने आगे बताया कि एक कांस्टेबल जो कमिश्नर ऑफिस में काम करता है, उसे एक शख्स को बुलाने के लिए कहा क्योंकि सिंह को उस शख्स से सेकंड हैंड आइफोन लेना था। अप्रैल के दूसरे सप्ताह में वही शख़्स डीजी होम गार्ड के दफ़्तर में 3 से 4 आइफोन लेकर आया। सीपी से करीब 30 मिनट तक उनके चैंबर में मीटिंग की, मीटिंग खत्म होने के बाद वो शख़्स सिंह के चैंबर से बाहर आया। मुझे बताया कि सिंह सर ने एक नया आइफ़ोन चुना है।

आपको बता दें की जिस अधिकारी ने पैसे देने की बात कबूली है वो पिछले 10 साल से ज्यादा के समय से परमबीर के साथ काम कर रहा है और फिलहाल होम गार्ड विभाग में पोस्टेड है। यहीं पर परमबीर सिंह भी डीजी के पद पर हैं। साल 2006 में परमबीर सिंह एटीएस में थे तब से ही यह उनसे जुड़ा हुआ है।