महिलाओं के लिए आत्मनिर्भरता बहुत जरूरी, बदलते वक्त ने किया सशक्त: महापौर

एमिटी यूनिवर्सिटी, लखनऊ द्वारा गुरुवार को आयोजित वेबिनार (वर्कप्लेस मेन्टल हेल्थ ऑफ मैरिड वीमेन एंड साइबर स्टाकिंग इन इंडिया) विषय पर बतौर मुख्य अतिथि के रूप में महापौर संयुक्ता भाटिया उपस्थित रहीं। इस अवसर पर उन्होंने कहा कि आज के समाज मे महिलाओं के लिए आत्मनिर्भरता बहुत जरूरी है, इससे उन्हें आर्थिक स्वतंत्रता के साथ ही संबल प्रदान होता है, परंतु हमारे समाज की कामकाजी महिलाओं को दोहरी जिम्मेदारी निभानी पड़ती हैं, वह घर भी संभालती हैं व उच्च पदों का कार्य भी बखूबी निभा रही हैं। आज वह पुरुषों से बहुत आगे निकल चुकी हैं। इसी कारण रोजगार के हर क्षेत्र में महिलाएं पुरुषों का वर्चस्व तोड़ रही हैं।  खासकर व्यावसायिक शिक्षा प्राप्त महिलाओं के काम का दायरा बहुत बढ़ा हुआ है।  लेकिन कामयाबी के बावजूद परिवार से जो सहयोग उन्हें मिलना चाहिए, वह नहीं मिल रहा पा रहा है।

उन्होंने आगे कहा कि आज के दौर में महिलाएं शिक्षा, पत्रकारिता, कानून, राजनीति, चिकित्सा, इंजीनियरिंग आदि के क्षेत्र में उल्लेखनीय सेवाएं दे रही हैं।  पुलिस और सेना में भी वे जिम्मेदारी बखूबी निभा रही रही है। बदलते वक्त ने महिलाओं को आर्थिक, शैक्षिक और सामाजिक रूप से सशक्त किया है और उनकी हैसियत एवं सम्मान में वृद्धि हुई है।  इसके बावजूद अगर कुछ नहीं बदला तो वह है महिलाओं की घरेलू जि़म्मेदारी, खाना बनाना और बच्चों की देखभाल अभी भी महिलाओं का ही काम माना जाता है।  यानी अब महिलाओं को दोहरी जिम्मेदारी निभानी पड़ रही है।  घरेलू महिलाओं की तुलना में कामकाजी महिलाओं पर काम का बोझ ज्यादा है।  इन महिलाओं को अपने कार्यक्षेत्र और घर, दोनों को संभालने के लिए ज्यादा मेहनत करनी पड़ रही है।  घर और ऑफिस के बीच सामंजस्य बैठाना पड़  रहा है। अधिकतर महिलाओं को पेशेवर जिम्मेदारियों के साथ ही घर की जि़म्मेदारी भी उठानी पड़ती है।  जिसका उनके स्वास्थ्य पर विपरीत असर पड़ता है।

महापौर ने कहा कि ऑफिस और घर संभालने की दोहरी जिम्मेदारी के कारण महिलाओं में तनाव बढ़ता है, जिससे मानसिक एवं अन्य शारीरिक बीमारियां पैदा होती हैं।  अपनी जिम्मेदारियों को पूरा करने के चक्कर में महिलाएं अक्सर अपनी सेहत को नजरअंदाज करती है।

दोहरी जिम्मेदारियों की बोझ के चलते तनाव एवं अन्य मानसिक स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं से घिर चुकी महिलाओं को अब अपने लिए समय निकालने की जरूरत है, जिससे वह आपने आप को ख्याल स्वयं रख सके। जितना वह ध्यान अपने कार्यक्षेत्र पर देती है उतना ही ध्यान उन्हें अपने स्वास्थ्य पर देना चाहिए। स्वयं का स्वास्थ्य भी आपकी ही जिम्मेदारी है।

साइबर स्टॉकिंग समाज के लिए समस्या

महापौर संयुक्ता भाटिया ने साइबर स्टाकिंग के बारे में अपने विचार रखते हुए कहा कि साइबर स्टाकिंग हमारे समाज के लिए एक समस्या के रूप में उत्पन्न हुई है, परंतु हमारी सरकार के कड़े रुख के कारण आज महिलाएं इंटरनेट पर स्वयं को सुरक्षित महसूस करती है, इसलिए ही इंटरनेट, और सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म का उपयोग करने में महिलाओं की संख्या निरंतर बढ़ रही है। हमारी सरकार ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म को स्पष्ट हिदायत दी है कि व्यक्ति की निजिता के साथ छेड़छाड़ किसी भी कीमत पर बर्दास्त नही की जाएगी। जो महिलाएं सोशल मीडिया का उपयोग करती है उन्होंने यह बदलाव महसूस भी किया होगा। मेरा मानना है जितना सरकार प्रयासरत है उसके साथ ही स्वयं भी कुछ सावधानियां बरत कर इस समस्या से बचा जा सकता है और बिना किसी चिंता के सोशल मीडिया पर एक्टिव रह सकती हैं। यदि उसके उपरांत भी आप किसी समस्या में फंस भी जाते हैं तो घबराएं नहीं बल्कि पुलिस को इसकी जानकारी दें।  

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आपको जानकर बड़ा हर्ष होगा कि भारतीय जनता पार्टी की सरकार द्वारा महिलाओं को साइबर सुरक्षा हेतु महिला सांसदों की एक समिति बनाई गई थीं, जिसने संसदीय समिति के समक्ष फेसबुक, इंस्टाग्राम, ट्विटर और व्हॉट्सएप्प के अधिकारियों को बुलाकर अपने प्लेटफ़ॉर्म पर महिलाओं को साइबर सुरक्षा प्रदान करने हेतु पालिसी बनाने के लिए निर्देशित भी किया था। हमारा प्रयास है कि महिलाओं को सार्वजनिक समाज मे ही नही अपितु वर्चुअल समाज मे भी सुरक्षित वातावण प्रदान हो सके, इसके लिए हम दृढ़ संकल्पित है।

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इस वेबिनार में महापौर संग उ.प्र. महिला आयोग की सदस्य अंजू प्रजापती , एमिटी यूनिवर्सिटी के वाईस चांसलर प्रो. बलविंदर शुक्ला ,प्रो-वाईस चांसलर, प्रो.सुनील धानेश्वर ,एमिटी इंस्टिट्यूट ऑफ फार्मेसी की डायरेक्टर डॉ० सुनीला धानेश्वर सहित अन्य श्रोतागण उपस्थित रहे।